जल संसाधन विभाग ने डूबान क्षेत्र के गांवों में खरीफ फसल नहीं लेने समेत अन्य संपत्तियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए मुनादी कराई गई है। डूबान क्षेत्र में भैंसाझार, उमरमरा, अमाली, नवापारा एवं बछालीखुर्द गांव में जल संसाधन विभाग ने मुनादी के अलावा वहां के सरपंच,सचिवों को पत्र भेजकर सूचित किया है।
बैराज परियोजना में वर्तमान में 293 मीटर जलभराव हुआ है। इसे चालू मानसून सत्र में 302 मीटर तक करने की कार्ययोजना तैयार की गई है। इस योजना से इसी माह 10 हजार हेक्टेयर रकबे को सिंचाई के लिए पानी देने की योजना है।
जल संसाधन विभाग पिछले साल ही सिंचाई के लिए पानी देने की योजना बनाई थी। लेकिन गुजरने वाली नहर के बीच रेलवे क्रासिंग और बीस मकान बाधक बन गए थे। इन दोनों का मामला सुलझाने के बाद अब जाकर इस साल सिंचाई के लिए पानी देने की योजना बनाई गई है। जहां तक नहरें बनीं है। वहां तक पानी छोड़कर खेती व तालाब भरने के लिए पानी दिया जाएगा।
अरपा भैंसाझार बैराज परियोजना से सिंचाई और निस्तारी के लिए पानी देने की तैयारी की जा रहीं है। इसी बीच बैराज में पर्याप्त पानी होने पर ग्रीष्मकाल में सूखीं अरपा नदी में आगामी ग्रीष्मकालीन मौसम में अविरल धारा बहेगी ,ऐसी उम्मीद है। इसके लिए शासन, प्रशासन को पहल करनी पडेग़ी।
शहर समेत जिले में पूर्व के वर्षों में साल भर में लगभग 12 सौ मिमी. वर्षा होती रहीं। पिछले तीन चार वर्षों से वर्षा ऋतु में बारिश करीब साढ़े आठ सौ मिमी. हो गया है। इसलिए अरपा नदी पूरी तरह से सूख गए।
अरपा भैंसाझार बैराज परियोजना से पहली बार किसानों को सिंचाई के लिए पानी देने की योजना बनाई गई है। इससे 10 हजार हेक्टेयर रकबे की सिंचाई होगी। डूबान क्षेत्र के गांवों में मुनादी गई गई है। बैराज के सभी आठ गेट बंद कर दिए गए है।
आरएस नायडू, अधीक्षण अभियंता, जल संसाधन,बिलासपुर
भैंसाझार बैराज परियोजना में पर्याप्त पानी( water stopped)होने पर ग्रीष्म ऋतु में शासन,प्रशासन की अनुमति से धीरे-धीरे पानी छोड़ा जाएगा। ताकि नदी में अविरल धारा बनीं रहेगी।
एके तिवारी, ईई,जल संसाधन संभाग,कोटा