– शहर के भीतर तालापारा चांदमारी तालाब और जरहाभाठा जतिया तालाब का हाल बेहाल .
– स्थिति ऐसी कि एक तालाब में पानी है लेकिन गंदगी से पटा, तो एक तालाब में बच्चे 12 महीने खेलते हैं क्रिकेट .
तालाबों को बचाने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सारे प्रयास हुए फेल, एक साल में काम भी नहीं हुआ शुरू
बिलासपुर. शहर के तालाबों में सबसे पुराने तालाब तालापारा चांदमारी तालाब और जरहाभाठा जतिया तालाब को बचाने के लिए निगम अधिकारी अब तक करोड़ों रुपए खर्च कर चुके हैं, लेकिन सारे प्रयास फेल हुए हैं। दोनों तालाबों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से संवारने एक साल पहले योजना बनाई गई, लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हुआ। हाल तो यह है कि तालापारा तालाब में पानी है लेकिन गंदगी से पटा हुआ है वहीं जरहाभाठा तालाब बच्चों के लिए 12 महीने क्रिकेट खेलते के काम में आ रहा है।
शहर के पुराने तालाबों को सुरक्षित रखने और 12 महीनों तक पानी उपलब्ध कराने शासन ने सरोवर धरोहर योजना शुरू की थी। योजना के तहत तालाबों का गहरीकरण और सौंदर्यिकरण किया जाना था। शहर के जतिया तालाब में दो वर्ष पूर्व योजना के तहत 2 करोड़ 80 लाख रुपए सौदर्यिकरण के लिए स्वीकृत किए गए थे। निगम अधिकारियो ने तालाब के चारों ओर पचरी निर्माण, तालाब के बाजू में पैठू को जोडऩे के लिए बीच में पुल का निर्माण करने और गहरी करण में राशि का उपयोग किया। रकम रहते 6 महीने तक काम किया गया और पुल को अधूरा छोड़ दिया गया। पचरी निर्माण करने और चारों ओर तालाब में पिचिंग वर्क किया गया। करोड़ों खर्च करने के बाद भी तालाब में इतनी बारिश होने के बाद भी एक बूंद पानी नहीं है।
राशि थी पर्याप्त, फिर भी नही हुआ निर्माण तालाब में सौंदर्यिकरण के लिए मिली 2 करोड़ 80 लाख रुपए से सारे निर्माण कार्य हो जाने थे। अधिकारियों ने सौंदर्यिकरण को ठेके पर दे दिया था। ठेकेदार ने यहां गहरी करण, चारों ओर पचरी और पुल का निर्माण कार्य शुरू किया था, लेकिन राशि खत्म होने का हवाला देकर काम बंद कर दिया। पिछले 2 साल से तालाब की हालत जस की तस है। तालाब अब बच्चों के क्रिकेट खेलने के काम आ रहा है।
तालाबों को बचाना जरुरी IMAGE CREDIT: तालाबों को बचाना जरुरी (file photo)गंदगी से पट चुके तालाब की स्थिति और हुई बदतर तालापारा चांदमारी तालाब अंग्रेजों के जमाने से लोगों के निस्तारी के उपयोग में आ रहा है। पिछले 3 दशको से जनसंख्या बढऩे और तालाब के आसपास लोगों के मकान बनाकर रहने के बाद से तालाब में गंदगी पसरनी शुरू हुई। तालाब में नगर निगम की ओर से करीब 15 वर्ष पूर्व पचरी का निर्माण हुआ था। इसके बाद से नगर निगम अधिकारी कभी झांकने नहीं गए। तालाब में लगातार गंदगी फेके जाने और सफाई के अभाव के कारण पूरे तालाब का पानी गंदा हो चुका है।
हाल तो यह हैं कि तालाब बड़ी-बड़ी घास और जनलकुंभी से पटा चुका है। बाक्स रखरखाव करते तो उपयोग होता तालाब की सफाई और रखरखाव की ओर नगर निगम अधिकारी ध्यान देते हुए आसपास के लोगों के लिए यह तालाब निस्तारी के उपयोग में आता। साथ ही तालाब सुरक्षित रहता, लेकिन रखरखाव और ध्यान नहीं देने के कारण तालाब का पानी भी दूषित हो गया है।
दोनों तालाबों को संवारने बनाया करोड़ों का प्रोजेक्ट निगम अधिकारियों ने दोनों तालाबों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यिकरण के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया है, जिसके तहत तालाब और आसपास इलेक्ट्रिफिकेशन, गहरी करण, सौंदर्यिकरण, पाथवे समेत कई निर्माण कार्य करने खाका तैयार किया था। निर्माण कार्य में करोड़ों रुपए खर्च होंगे।