पशु-पक्षी का रुप लेकर आशीर्वाद देने आते हैं पूर्वज
पितृ पक्ष आज से, 9 अक्टूबर तक पूर्वजों की होगी आराधना
पशु-पक्षी का रुप लेकर आशीर्वाद देने आते हैं पूर्वज
बिलासपुर. पितृ पक्ष पितरों के सम्मान का पर्व माना गया है। सोमवार से पितृ पक्ष आरंभ हो रहा है जो 16 दिन, यानी 9 अक्टूबर तक चलेगा। इसमें पितरों का तर्पण करते हुए आह्वान किया जाएगा, उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध की विधि पूरी जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक पितरों के प्रति श्रद्धा व आस्था प्रकट करने का पर्व है। इस दौरान पितर पशु, पक्षी जैसे कई रूप लेकर आते और अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
पितृ पक्ष की शुरुआत पूर्णिमा के दिन से होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित महेश्वर उपाध्याय ने बताया कि प्रतिपदा से अमावस्या तक तो पितरों का श्राद्ध होता ही है, वहीं कुछ पितरों का परलोक गमन पूर्णिमा के दिन भी हुआ रहता है। एेसे में उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध करते हैं। इसलिए यह पर्व १६ दिन का माना गया है। परलोक गमन की तिथि के मुताबिक प्रत्येक पितर का श्राद्ध किया जाता है। सोमवार को सुबह से ही तर्पण कर आह्वान किया जाएगा। संत जलाराम मंदिर के पुजारी पंडित ब्रह्मदत्त मिश्रा ने बताया कि आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक पितृ पक्ष होगा। इस पक्ष में पितरों की मृत्यु तिथि के अपराह्ण काल में पार्णव श्राद्ध करने का प्रावधान है। पितरों की तृप्ति एवं स्वयं की आत्मोन्नति के लिए श्रद्धापूर्वक क्रियाविंत किया गया तर्पण पिंडादि कर्म श्राद्ध है। वस्तुत: श्राद्ध कर्म से सगे संबंधी ही नहीं, वरन ब्रह्मा से लेकर तृण तक सभी प्राणी तृप्त होते हैं।
पितृ पक्ष की तिथियां
24 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध, 25 सितंबर प्रतिपदा का श्राद्ध, 26 सितंबर को द्वितीया का श्राद्ध, 27 सितंबर को तृतीया का श्राद्ध, 28 सितंबर चतुर्थी का श्राद्ध, 29 सितंबर पंचमी का श्राद्ध, 30 षष्ठी का श्राद्ध, 1 अक्टूबर को सप्तमी श्राद्ध, 2अक्टूबर को अष्टमी श्राद्ध, 3 अक्टूबर को नवमी का श्राद्ध, 4 अक्टूबर को दशमी, 5 अक्टूबर को एकादशी श्राद्ध, 6 अक्टूबर द्वादशी, 7 अक्टूबर त्रयोदशी का श्राद्ध, 8 अक्टूबर को चतुदर्शी का श्राद्ध व 9 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या की तिथि रहेगी।