script10 दिन से गंदा पानी पी रहे थे चौसिंघा, बीमार पड़े तो इलाज करने के लिए नहीं थे डॉक्टर | Animals drank bad water for 10 days, no doctor to cure when diseased | Patrika News

10 दिन से गंदा पानी पी रहे थे चौसिंघा, बीमार पड़े तो इलाज करने के लिए नहीं थे डॉक्टर

locationबिलासपुरPublished: Sep 03, 2018 04:06:32 pm

Submitted by:

Amil Shrivas

लापरवाही : कानन पेंडारी प्रबंधन की खामियां

kanan pendari

10 दिन से गंदा पानी पी रहे थे चौसिंघा, बीमार पड़े तो इलाज करने के लिए नहीं थे डॉक्टर

बिलासपुर. चौसिंघा के केज में जगह-जगह गड्डे हैं, जिसमें बारिश का गंदा पानी जमा हो गया था। वन्य प्राणी पिछले 10 दिनों से यही पानी पी रहे थे। वहीं लगातार बारिश होने के कारण जमीन भी गीली हो गई थी। वन्य प्राणियों की चहल कदमी के कारण केज के चारों ओर कीचड़ हो गया है। इन कारणों से वन्य प्राणी बीमार पड़ गए। उनके इलाज के लिए कोई डॉक्टर नहीं था।
कानन पेंडारी के सीनियर डॉक्टर पीके चंदन को रायपुर के जंगल सफारी के लिए जंगली भैसा लाने हैदराबाद भेज दिया गया था। जूनियर डॉक्टर दुबे जैसे-तैसे कर इलाज कर रहे थे। लेकिन उनसे बीमार वन्य प्राणी संभल नहीं पाए। वन्य प्राणियों को निमोनिया फिर डायरिया हो गया। इसी से तीन चौसिंघा की मौत हो गई। अभी भी कई वन्य प्राणी बीमार चल रहे हैं, उन्हें रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है।
डॉक्टर बाहर अफसर नदारद
कानन पेंडारी में 600 से अधिक वन्य प्राणी, पशु-पक्षी हैं। उनके इलाज के लिए दो डॉक्टर हैं। सीनियर डॉ. पीके चंदन को वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ ने रायपुर के जंगल सफारी के लिए जंगली भैसे को लाने हैदराबाद भेज दिया। इसमें उन्हें दस दिन लग गए। इसी बीच चौसिंघा बीमार पड़ गए। यहां के जिम्मेदार अफसर भी कई दिन तक कानन पेंडारी नहीं पहुंचे। चौसिंघा की मौत के बाद उनकी नींद खुली।
केज को सूखने में लग जाएंगे 6 दिन
केज से 17 चौसिंघा को बाहर निकल दिया गया है। गड्डे में भरे पानी को पंप से बाहर किया जा रहा है। केज सूखने के बाद ही उसमें वन्य प्राणियों को रखा जाएगा। वहीं बीमार पड़े चौसिंघा का इलाज किया जा रहा है। जिनका स्वास्थ्य में जल्द ही होने लगा है।
डायरिया पीडि़त वन्य प्रणियों की सुधर रही है हालत
केज से पानी को बाहर निकाला जा रहा है। सभी चौसिंघा को केज से बाहर कर दिया गया है। जमीन काफी गीली है, सूखने के बाद वन्य प्राणियों को अन्दर भेजा जाएगा। डायरिया पीडि़त वन्य प्राणियों की हालत सुधर रही है।
एसएस कंवर, डीएफओ
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