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हिंदी को विज्ञान, कम्प्यूटर और विधि की भाषा बनाने पर ध्यान देना चाहिए- प्रो बाजपेयी

locationबिलासपुरPublished: Aug 08, 2022 09:48:59 pm

Submitted by:

SHIV KRIPA MISHRA

शासकीय पतालेश्वर महाविद्यालय मस्तूरी, नवीन शासकीय कॉलेज सकरी, मिनिस्ट्री ऑफ़ हायर एजुकेशन एंड साईंटिफिक रिसर्च अल्मनसुर विश्वविद्यालय बगदाद एवं डिवाइन कैरियर अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में डॉ ए.डी.एन. बाजपेयी, कुलपति, अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर के मुख्य आतिथ्य, डा. विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की अध्यक्षता में द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सेमिनार का आयोजन आनंदा इंपीरियर बिलासपुर में 07 अगस्त 2022 को संपन्न हुआ।

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हिंदी सेमिनार का आयोजन आनंदा इंपीरियर बिलासपुर में 07 अगस्त 2022 को संपन्न हुआ।

बिलासपुर . सेमिनार को संबोधित कारते हुए डॉ ए.डी.एन. बाजपेयी, कुलपति, अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय ने कहा कि हिंदी कब हमारे देश में विज्ञान, कम्प्यूटर और विधि की भाषा बनेगी, यह अनुत्तरित प्रश्न है । हमें इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि हिंदी समृद्ध भाषा बन सके। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ पाठक ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य में हिंदी को स्थापित करना हमारा लक्ष्य है । इसके लिए हम ऐसे आयोजनों के माध्यम से सतत्त् प्रयास कर रहे हैं। डॉ बुशरा ने इस सेमीनार के आयोजन के लिए अपनी शुभाकामनाएं व बधाई दी और कहा कि भारत एक शांतिप्रिय देश है जहां हिंदी को बढ़ावा देने के प्रयास में कोई समस्या नहीं है तथा हिंदी हिन्दुस्तान की धड़कन है । प्रो. राजन यादव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी इस बात पर गर्व कर सकती है कि उसने दक्षिण भारत के संतों की चिन्तन को जन-सामान्य तक पहुंचाया और हिंदी हमें आपस में जोडऩे की महत्वपूर्ण कड़ी है। डा. शास्त्री ने धारा प्रवाह बोलते हुए कहा कि वर्तमान शोध में सहभागी अवलोकन का प्रयोग किया जाना आवश्यक है, ताकि हमें प्रामाणिक आंकड़े प्राप्त हो सकें। इस सेमीनार में 12 राज्यों से शोधपत्र एवं दो देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। मेघालय से डॉ. जी.डी. शर्मा कुलपति साइंस एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय ऑनलाइन विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। स्वागत भाषण डॉ. डी.आर. साहू शासकीय पातालेश्वर महाविद्यालय मस्तूरी ने प्रस्तुत किया ।
67 शोधार्थियों ने विविध विषयों में शोधपत्र प्रस्तुत किया
इस सेमीनार में 153 शोधार्थी पंजीकृत हुए जिसमें से 67 शोधार्थियों ने विविध विषयों में शोधपत्र प्रस्तुत एवं वाचन किया । इनमें अंतर्राष्ट्रीय मानक के आधार पर हिंदी से डॉ. अनिता सिंह, डॉ. अर्चना शर्मा, सृजन महंत को, विधि से अहमद फकीर मो. (ईराक) को, अंग्रेजी से डॉ. मजिन व मो. मुनीर को, कम्प्यूटर विज्ञान में अमजद अब्बास तथा बायो-टेक्नालाजी में सुमित कुमार को उत्कृष्ट शोधपत्र के लिए सम्मानित किया गया ।इसके अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पुस्तक लेखकों को भी सम्मनित किया गया जिनमें व्यंग्य विधा पर ऋषभ जैन दुर्ग को “व्यंग्य का वायरस””, काव्य लेखन के क्षेत्र में सोमा राज पिल्लई बेंगलूर उनकी काव्य-संग्रह “तितिक्षा”, उपन्यास लेखन के लिए डॉ. प्रीति प्रसाद “एक पल ऐसा भी,” डॉ. अनिता सिंह को “समय से आगे”, सूरज डडसेना को उनकी पुस्तक “इलेवन मंथ्स” के लिए पुरस्कृत किया गया। इस अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में डॉ. रेखा दुबे की दो पुस्तकें “इक्कीसवीं सदी के नव्य-विमर्श किन्नर विमर्श और हाशिये का समाज और साहित्य, डिवाइन कैरियर अकादमी द्वारा रिसर्च क्लस्टर तथा अनुज राम साहू का “छत्तीसगढ़ी काव्य सरिता सारंग” का विमोचन किया गया।
सेमिनार में ये रहे उपस्थित
इस सेमिनार में डा. राघवेन्द्र दुबे, ए.के. यदु, केवल कृष्ण पाठक, बजरंग बली शर्मा, भरत वेद, राजेश सोनार, कुमार संतोष शर्मा, अंजनी कुमार तिवारी, डॉ भुवन सिंह राज, नवीन रेलवानी, एल.के. निराला, डॉ दुर्गा बाजपेयी, डॉ मतावले, डॉ सुजाता सेमुअल, डॉ डी.के. सिंह. डॉ बी.एल. मंडलोई, श्री मंगल सिंह निराला, मुकेश बिहारी घोरे, कांती अंचल, सुनील यादव, बृजेश, संगीता बनाफर, डॉ.चंद्रिका चौधरी, डॉ आंचल श्रीवास्तव, डॉ गीता तिवारी, डॉ विश्वनाथ कश्यप, डॉ प्रदीप निरणेजक, डॉ. श्वेता साव, श्री जय वैष्णव सहित बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन डॉ आनंद कश्यप जी, कु चांदनी क्षत्रिय ने किया । आभार व्यक्त डॉ. एस. एल. निराला ने किया।
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