scriptAyurveda Medical College waiting for its own building since 12 years | १२ साल से खुद के भवन की बाट जोह रहा आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय | Patrika News

१२ साल से खुद के भवन की बाट जोह रहा आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय

locationबिलासपुरPublished: May 26, 2023 12:34:44 am

Submitted by:

AVINASH KUMAR JHA

वर्ष २०१२ में आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना हुई, तब से लेकर अब तक संस्थान स्वयं की बिल्डिंग की बाट जोह रहा है। वर्ष २०२२ में इसके लिए शहर से लगे ग्राम रमतला में १४ एकड़ जमीन शासन द्वारा जरूर मिली है, पर यहां कब तक निर्माण कार्य शुरू होगा, कहना मुश्किल है।

Ayurveda Medical College
Ayurveda Medical College waiting for its own building since 12 years
बिलासपुर. वर्ष २०१२ में आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना हुई, तब से लेकर अब तक संस्थान स्वयं की बिल्डिंग की बाट जोह रहा है। वर्ष २०२२ में इसके लिए शहर से लगे ग्राम रमतला में १४ एकड़ जमीन शासन द्वारा जरूर मिली है, पर यहां कब तक निर्माण कार्य शुरू होगा, कहना मुश्किल है। इधर संस्थान को हर मान्यता को लेकर अग्रिपरीक्षा देनी पड़ रही है। स्वयं का भवन, छात्रावास समेत अन्य फैसिलिटी न होने के चलते मान्यता को लेकर उहापोह ही स्थिति बनी रहती है। इस वर्ष के लिए भी एनसीआईएसएम की टीम निरीक्षण के लिए पहुंची, उन्हें जमीन दिखा कर भविष्य में सुविधाएं बढऩे का हवाला देते हुए मान्यता की गुजारिश की गई है।
आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय की जब शहर में स्थापना हुई तो सरकंडा स्थित डीपी विप्र कॉलेज में किराए के भवन में क्लासेज शुरू की गई। वर्तमान में जूना बिलासपुर स्थित नागाराव शेष विद्यालय भवन में भी किराए पर महाविद्यालय का संचालन को रहा है। जबकि संभाग स्तरीय यह चिकित्सालय, नूतन चौक स्थिति जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में ही समाहित है। उस समय उम्मीद जताई जा रही थी कि जल्द महाविद्यालय की स्वयं की बिल्डिंग, छात्रावास, स्टाफ क्वार्टर, ऑडिटोरियम होगा पर आज तक यह महज दिवास्वप्र ही बना हुआ है। बतादें कि इस महाविद्यालय में बीएएमएस की 75 सीटें हैं। इसमें केंद्र द्वारा 11 सीटों में और 64 सीटों पर राज्य सरकार एडमिशन देती है। तीन साल पहले सिर्फ 60 सीटें थीं। वर्तमान में 2२५ विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इन्हें मेडिकल कॉलेज स्तर की सुविधाएं ही नहीं मिल पा रही हैं। स्थिति ये हैं कि छात्रों के लिए पर्याप्त क्लॉस रूम तक नहीं हैं। इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
छात्रावास न होने से सबसे ज्यादा छात्राओं को हो रही परेशानी - महाविद्यालय की स्वयं की बिल्डिंग व छात्रावास न होने से सब किराए पर चल रहा है। प्रबंधन किराए पर महाविद्यालय का संचालन तो कर रहा है, पर छात्रों को स्वयं हरने की व्यवस्था करनी पड़ रही है। इससे सबसे ज्यादा परेशानी बाहर ासेसे आकर पढ़ाई कर रहीं छात्राओं को हो रही है।
पढ़ाई कहीं, प्रेक्टिस कहीं और- जूना बिलासपुर में महाविद्यालय और उसके करीब ८ किलोमीटर दूर नूतन चौक में अस्पताल है। लिहाजा छात्र महाविद्यालय में पढ़ते हैं, फिर आठ किलोमीटर का दायरा तय कर प्रक्टिस के लिए जाते हैं। जबकि नियमानुसार छात्रों को ये दोनों सुविधाएं एक ही कैंपस में मिलनी चाहिए।
असुविधाओं के चलते वर्ष २०१५ में मान्यता ही छिन गई थी- बतादें कि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय की मान्यता को लेकर हर बार केंद्र से टीम पहुंचती है। वर्ष २०१४ से महाविद्यालय में ६० सीटों के साथ बीएएमएस की पढ़ाई शुरू हुई थी। एक साल तो जैसे-तैसे चला। वर्ष २०१५ में मान्यता के लिए सीसीआईएम की टीम पहुंची तो अव्यवस्था देख मान्यता ही देने से इंकार कर दिया। इसके बाद प्रबंधन ने नागोराव शेष स्कूल में किसी तरह आधी-अधूरी व्यवस्था बनाई तब कहीं जाकर वर्ष २०१६ केलिए मान्यता मिली। तब से अब तक हर साल मान्यता को लेकर खतरा बना हुआ है। पिछले दिनों जायजा लेने आई एनसीआईएसएम की टीम को भी प्रबंधन ने रमतला की जमीन में जल्द काम शुरू होने का हवाला देते हुए मान्यता देने की गुजारिश की है। अभी रिपोर्ट नहीं आई है।
रमतला में कॉलेज भवन के साथ छात्रावास समेत अन्य सुविधाओं का होना है विस्तार -रमतला में मिली जमीन में कॉलेज व चिकित्सालय भवन के साथ ही, गल्र्स-बॉयज छात्रावास, लैब, ऑडिटोरियम, स्टाफ रूम, खेल मैदान सहित अन्य जरूरी सुविधाएं एक ही कैंपस में होंगी। लेकिन इसका निर्माण कब तक होगा, यह प्रबंधन को ही नहीं पता। स्वयं की बिल्डिंग होने पर पीजी सीट भी बढ़ेंगी।
जमीन का इंतजार खत्म, निर्माण कार्य जल्द शुरू होने की उम्मीद
आयर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय के लिए बहुप्रतीक्षित जमीन रमतला में तो मिल गई है। उम्मीद है कि इस पर निर्माण कार्य भी जल्द शुरू होगा, तब पीजी सीट के लिए भी प्रयास किया जाएगा।
प्रो. डॉ. रक्षपाल गुप्ता, प्राचार्य आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय।
सीधी बात...पी. दयानंद, स्वास्थ्य सचिव छ.ग.।
सवाल-आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय को ११ साल बाद शासन से जमीन तो मिली, पर उसमें निर्माण कार्य कब तक शुरू होगा?
जवाब-प्रोसेस जारी है, वित्त विभाग का अनुमोदन आना बाकी है। जैसे ही स्वीकृति मिलती है, काम शुरू करा दिया जाएगा।
सवाल-क्या आगामी विधानसभा चुनाव से पहले उम्मीद है कि यहां कम से कम भूमि पूजन हो जाएगा?
जवाब- बजट की स्वीकृति जल्द मिलने की उम्मीद है। उसके बाद काम भी शुरू हो जाएगा।
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