बिना पैसे आखिर कैसे चले घर का खर्चा कठिनाई
बिलासपुरPublished: Nov 14, 2016 10:44:00 am
कवितादेवी ने बताया कि वह सुबह साढ़े आठ बजे से बैंक के आगे लाइन में खड़ी रही पर ग्यारह बजे तक भी नम्बर नहीं आया, फिर किसी ने बताया कि नोट बदलवाने के लिए पर्ची भरनी पड़ती है तो उन्होंने अपने साथ आई एक अन्य महिला को कतार में खड़ा कर बैंक से पर्ची लेकर आई।
trouble to manage money for home expenses
सरकार की ओर से पांच सौ-हजार के बड़े बंद करने के बाद रविवार को भी बाजार प्रभावित रहा। जहां बाजार में नोटों के बंद होने को लेकर चर्चाएं चलती रही, वहीं व्यापारियों की ओर से पांच सौ-हजार के पुराने नोट नहीं लेने से लोगों को घरेलू सामान खरीदने में परेशानी हो रही है। इससे व्यापार भी पूरी प्रभावित हो रहा है। बैंकों व एटीएम के बाहर नोट बदलने के लिए लम्बी कतार होने व शहर के कई एटीएम पांचवे दिन भी बंद होने से लोगों के लिए यह सवाल खड़ा हो गया है कि घर खर्च चलाए तो चलाए कैसे। शहर के बस स्टैण्ड, शहर थाना, केसरगंज, बैंक कॉलोनी, रीको, पांच बंगला रोड, तलहटी आदि स्थानों पर स्थित बैंकों व एटीएम पर लोगों की भीड़ रही। पुरानी सब्जी मंडी, पोस्टऑफिस, रेलवे स्टेशन व बस स्टैण्ड के सामने, पुराना चेकपोस्ट, रीको कॉलोनी स्थित एटीएम पांचवे दिन भी नहीं खुलने से यात्रियों व शहरवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कई ग्राहक तो एटीएम बैंकों व पोस्टऑफिस में नगद का पर्याप्त कोष नहीं होने से नोट बदलवाने व आहरण में परेशानी हुई।
बाद में पता चला पर्ची भरनी है
लुनियापुरा निवासी कवितादेवी ने बताया कि वह सुबह साढ़े आठ बजे से बैंक के आगे लाइन में खड़ी रही पर ग्यारह बजे तक भी नम्बर नहीं आया, फिर किसी ने बताया कि नोट बदलवाने के लिए पर्ची भरनी पड़ती है तो उन्होंने अपने साथ आई एक अन्य महिला को कतार में खड़ा कर बैंक से पर्ची लेकर आई। फिर करीब बारह-एक बजे उन्हें चार हजार रुपए मिले तो जान में जान आई। तरतोली निवासी संतोष देवी ने बताया कि तीन-चार हजार भी कितने दिन तक चलेंगे। घर के कई खर्चों के लिए पैसा तो चाहिए। कई बैंकों में तो महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग-अलग कतार लगाई गई है, पर कुछ बैंकों में महिलाओं व पुरुष की एक ही कतार होने से धक्का-मुक्की के बीच लोगों को काफी देर इंतजार करना पड़ता है। शहर थाने के पास स्थित बैंक के आगे लगी कतार में कई महिलाएं संक्रमण से बचाव के लिए मास्क लगाए भी दिखाई दी।
दस के सिक्के चलाना मुश्किल
कई बैंक कर्मचारी चार हजार में से एक हजार रुपए के दस के सिक्कों की थैली लोगों को थमा रहे हैं। लोगों को दस-दस के सिक्कों को बाजार में देने व सामान खरीदने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। शहर में कई व्यापारी दस के सिक्के नकली होने की अफवाह के चलते सिक्के लेने से ही इनकार कर रहे हैं। लोगों ने बताया कि एक दस का सिक्का खर्च करने के लिए कई दुकानों पर घुमना पड़ता है। अगर दस के सिक्के बाजार में चल ही नहीं रहे हैं, तो बैंक से मिले दस के सिक्के किस काम के। यह यक्ष प्रश्न है।
दो हजार के नोट लेने में भी आनाकानी
उधर बाजार में कई व्यापारी ऐसे भी है जो दस की नोट लेने से भी आनाकानी कर रहे हैं। कुछ खुल्ले पैसे नहीं होने का बहाना कर रहे हैं तो कुछ नोट को नकली बताकर लेने से इनकार कर रहे हैं। ऐसे में लोगों को नई नोट लेकर भी दुकानों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। शहर में संचालित कुछ को-ऑपरेटिव बैंक पांच सौ-हजार के नोट बदलने से इनकार कर रही है। कांग्रेस नगर अध्यक्ष अमित जोशी ने बताया कि कुछ स्थानीय को-ऑपरेटिव बैंक के कर्मचारी केवल खाताधारकों के नोट ही बदलने की बात कर रहे हैं. जबकि आरबीआई की ओर से जारी निर्देशों में सभी बैंकों से नोट बदलवाए जा सकते हैं
छुट्टी के दिन जमा हुए बिजली के बिल
डिस्कॉम के निर्देश पर शहर के सहायक अभियंता ग्रामीण व शहरी कार्यालय पर रविवार को भी बिजली के बिल जमा किए गए। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर उपभोक्ताओं से पांच व हजार के नोट लिए गए। शाम तक कार्यालय के बाहर उपभोक्ता की कतार लगी रही।