याचिकाकर्ता पलाश तिवारी ने याचिका में बताया है कि प्रदेश की विभिन्न निचली अदालतों में 20 लाख मामले महिलाओं और बुजुर्गों से संबंधित हैं। सुनवाई के दौरान इन्हें लगातार न्यायालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। लेकिन सुनवाई के दौरान या अपनी बारी के इंतजार में इनके उठने-बैठने या पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके कारण इन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।