मामले की जांच कर रहे कोटा एसडीओपी अभिषेक सिंह की ड्यूटी कोरबा जिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम में लगा दी गई है। अभिषेक सिंह को वीआईपी ड्यूटी पर 14 -16 अप्रैल तक कोरबा भेज दिया गया है। वहीं एसडीओपी ने शनिवार को मामले की जांच नहीं की है। 17 अप्रैल से एसडीओपी अभिषेक मामले की जांच शुरू करेंगे।
संपत्ति के दस्तावेज का नोटिस दिया, प्रस्तुत किया तो कर ली जब्ती
पुलिस ने 7 अप्रैल को चन्द्रिका प्रसाद और दिनेश को नोटिस जारी कर जमीन के दस्तावेज प्रस्तुत करने कहा था। चन्द्रिका प्रसाद ने राज्य शासन द्वारा मिले पट्टे को पेश किया था। इसके बाद भी पुलिस ने चन्द्रिका और दिनेश को छोडऩे के बजाए दोनों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की और तहसीलदार के न्यायालय में पट्टा पेश कर दिया।
क्रूरता इतनी कि बाप बेटे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का लिखा आवेदन
मरवाही टीआई की करतूत की परतें धीरे-धीरे उधडऩे लगी हैं। 7 अप्रैल को बाप बेटे को पीटने के बाद टीआई ई एक्का का मन नहीं भरा तो उन्होंने चन्द्रिका और दिनेश के खिलाफ अधिक से अधिक बाउंड ओवर की कार्रवाई करने तहसीलदार को निजी पत्र तक भेज डाला।
जमानत हो गई थी, तो पुलिस कर्मी चन्द्रिका को क्यों लेकर गए थे अस्पताल
आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद पुलिस संबंधित न्यायालय में पेश करती है। कोर्ट से आरोपी को जमानत मिलती है तो पुलिस कर्मी आरोपी को छोड़कर कोर्ट दस्तावेज लेकर वापस थाने चले जाते हैं। 8 अप्रैल को चन्द्रिका प्रसाद व दिनेश को पुलिस कर्मी सुबह 11 बजे तहसीलदार के न्यायालय में पेश करने गए थे। शाम साढ़े 4 बजे चन्द्रिका और दिनेश को पुलिस कर्मी हिरासत में रखे थे। स्वास्थ्य बिगडऩे पर उसे अस्पताल में भर्ती कराने पुलिस कर्मी गए थे। यदि चन्द्रिका प्रसाद की जमानत पहले हो चुकी थी तो पुलिस कर्मी देर शाम तक चन्द्रिका और दिनेश को हिरासत में क्यों रखे थे।
तुलसीदास मरकाम, तहसीलदार मरवाही चन्द्रिका प्रसाद और दिनेश को आपके न्यायालय से जमानत कब दी गई थी।
मरवाही पुलिस ने चन्द्रिका और दिनेश को 8 अप्रैल को दोपहर 12 बजे पेश किया था। जमानदार खड़े होने के कारण दोपहर 2 बजे उन्हें जमानत दे दी गई थी।
जमानत आदेश में आपने 16 अप्रैल 2019 की तारीख लिखी है। ऐसा नहीं लगता कि आपने हड़बड़ी में आदेश जारी किया है।
लिखते समय कभी-कभी त्रुटियां हो जाती है। जमानत आदेश 8 अप्रैल मैने स्वयं जारी किया था। 16 अप्रैल की तारीख लिखने की जानकारी नहीं है। गलती से तारीख गलत लिख गई होगी।
चन्द्रिका प्रसाद ने अपने नाम का जमीन का पट्टा भी प्रस्तुत किया था। फिर कार्रवाई किस आधार पर की गई ?
प्रकरण में चन्द्रिका प्रसाद का जमीन का पट्टा भी था, पट्टा होने के कारण मैंने उन्हें जमानत दी थी।
क्त. चन्द्रिका प्रसाद को सिर्फ जमानत देने के आदेश जारी हुए हैं, उसके बेटे दिनेश को जमानत क्यों नहीं दी गई।
जमानत आदेश में मैंने दस्तखत किए हैं। चन्द्रिका और उसके बेटे दोनों को जमानत दी गई थी। जमानत आदेश जारी करते समय दिनेश न्यायालय में मौजूद नहीं था।
तहसील कार्यालय से आप 12 बजे बिलासपुर में निर्वाचन मीटिंग में आ गए थे, ऐसी स्थिति में दोपहर में जमानत आदेश पर हस्ताक्षर कैसे किए जा सकते हैं।
दोपहर 2 बजे मेरे द्वारा जमानत आदेश जारी किया गया था। आदेश के बाद मैं बिलासपुर मीटिंग में आ गया था। मैंने बयान में भी एसडीओपी को दोपहर 2 बजे जमानत देने की बात कही है।