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फोटो देखकर आप भी बोलोगे- मोदी जी कश्मीर के बाद अब यहां भी दो ध्यान, डॉक्टर ने ग्लूकोज की जगह बच्चे को चढ़ा दी बिस्लरी बॉटल

locationबिलासपुरPublished: Aug 05, 2019 11:26:00 pm

Submitted by:

Murari Soni

Doctors Big mistake: मेडीकल कॉलेज में डॉक्टर ने ग्लूकोज की बॉटल की जगह बच्चे को चढ़ा दी बिस्लरी की बॉटल

Big mistake of the cims doctors in bilaspur Chhattisgarh

फोटो देखकर आप भी बोलोगे- मोदी जी कश्मीर के बाद अब यहां भी दो ध्यान, हमारे डॉक्टर विदेशों में झंडा गाड़ रहे और देश के गरीबों के साथ ये मजाक

बिलासपुर. जिले के सिम्स अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टरों की लापरवाही( doctors Big mistake)सामने आई है। एक बच्चे के शरीर से विषाक्त पदार्थ को निकालने के लिए गेस्टिक लवाज (पेट साफ करने की विधि) की विधि ही बदल दी गई। डॉक्टरों ने सीधे पानी की बोतल को आईवी सेट (ग्लूकोज के लगने वाली नली) से जोड़कर इलाज शुरू कर दिया।
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विशेषज्ञों की मानें तो प्वॉयजन से पीडि़त मरीजों के लिए ग्लूकोज की बोतल और कीप (गैस्टिक लवाज ट्यूब) का सहारा लेकर पेट की सफाई की जानी चाहिए थी। लेकिन अस्पताल के जूनियर डाक्टर ग्लूकोज की जगहा बिसलेरी के पानी बॉटल से पेट की सफाई कर(Doctors Big mistake) रहें है। जबिक डॉक्टरों का कहना है कि ग्लूकोज और पानी को एक साथ चढ़ाना ही मानक प्रक्रिया है।
इससे शरीर के अंदर जमा सभी विषाक्त कण बाहर निकल जाते हैं, क्योंकि जिस तेजी से पेट में पानी जाएगा, उसी तेजी से बाहर आएगा। सीधे पानी चढ़ाने से इंफ़ेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। संभाग का सबसे बडा अस्पताल होने से सिम्स में जिले के साथ दूसरे राज्यो से भी मरीज आते है यहां रोजाना चार से पांच विषाक्त पदार्थ से बीमार मरीज को इलाज के लिए भर्ती किया जाता है लेकिन डॉक्टर के लापरवाही के चलते ऐसे मरीजों की मौते हो रही है। दो माह के भीतर एक दर्जन से अधिक जहर खाए हुए मरीजों की मौत भी सिम्स में हो गई है।

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यहां तो सीधे बोतल ही लगा दी

मरीज के परिजन ने बताया, सीधे ही पानी की बोतल लगा दी गई। ग्लूकोज की बोतल में पानी डालने की बजाए आईवी सेट को सीधे ही पानी की बोतल के मुंह से जोड़कर उसे राइज टयूब में लगा दिया। इससे ग्लूकोज की तरह धीरे-धीरे पानी जा रहा था। जबकि पेट को साफ करने के लिए कीप विधि का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में ग्लूकोज की बॉटल और पानी साथ में मिला कर एंडोस्कोपी की तरह मोटी नली मुंह या नाक के जरिए पेट में जाती है। ग्लूकोज और पानी तेजी से पेट में जाने से विषाक्त के कण उलटी से बाहर आ जाते हैं, लेकिन सिम्स में तो सीधे पानी की बोतल चढ़ाया जा रहा है।

बोतल पकड़ घंटो खड़े रहते है परिजन

सिम्स में एक तरफ विषाक्त पदार्थ खाने से बिमार मरीजों के उपचार के लिए गैस्टिक लवाज के लिए पानी के बोतल का उपयोग किया जा रहा है तो दूसरी तरफ नर्स और डॉक्टर इंन बोतलों को स्टैण्ड में ना लटका मरीज के परिजनों को हाथो में थमा देते है जिसके जिसके चलते परिजन घंटो पानी की बोतल को पकड़कर मरीज के पास खड़े रहते है जिसके चलते उन्हें परेशान(Doctors Big mistake) होना पड़ रहा है। इसके बावजूद प्रबंधन इसे नजरअंदाज कर रहा है।

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