मामले की 21 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान शासन ने प्रदेश की सभी सड़कों के स्पीड ब्रेकर हटाए जाने की जानकारी हाईकोर्ट को दी थी। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता डीडी आहुूजा व अधिवक्ता सुनील ओटवानी को प्रेदश की सभी सड़कों का निरीक्षण कर शपथपत्र में बताने को कहा था कि शासन का जवाब कितना सही है। क्या सभी स्पीड ब्रेकर हटा दिए गए हैं। 24 अक्टूबर की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता व अधिवक्ता द्वारा जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि प्रदेश के कई नगरनिगमों द्वारा अबतक सभी स्पीड ब्रेकर नहीं हटाए गए हैं। इस पर सीजे की युगलपीठ ने सभी नगर निगम को पार्टी बनाए जाने का निर्देश देते हुए मामले की आगामी सुनवाई के पूर्व हटाए गए और बचे हुए स्पीड ब्रेकरों की संख्या बताने को कहा है।
बिलासपुर के डीडी आहूजा ने अधिवक्ता सुनील ओटवानी के माध्यम से जनहित याचिका लगाई है। इसमें स्पीड ब्रेकरों के कारण प्रतिदिन हो रहे सड़क हादसे और मौतों का हवाला देते हुए हटाने की मांग की गई है। साथ ही स्पीड ब्रेकरों को आईआरसी की गाइडलाइन के विरुद्ध बनाए जाने की जानकारी दी गई है।