Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

प्रमोशन को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, बोले – सिर्फ 1 साल तक ही रोका जा सकता है पदोन्नति… जानें क्या है मामला?

High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सब-इंस्पेक्टर एफडी साहू की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नति देने का आदेश दिया है।

2 min read
Google source verification
CG Civil Judges Transfer Promotion News

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि विभागीय छोटी सजा से सिर्फ एक वर्ष ही प्रमोशन बाधित होगा। इस आधार पर याचिकाकर्ता को वर्ष 2016 से पुलिस इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन देने के निर्देश दिए हैं।

प्रकरण के अनुसार डीडी नगर, रायपुर निवासी एफडी साहू वर्ष 2012-2013 में जगदलपुर, जिला-बस्तर में पुलिस विभाग में सब इन्सपेक्टर के पद पर पदस्थ थे। पदस्थापना के दौरान एक अपराध की विवेचना में लापरवाही के आरोप में पुलिस महानिरीक्षक, जगदलपुर द्वारा उनकी एक वेतनवृद्धि एक वर्ष के लिए असंचयी प्रभाव से रोकने की सजा दी गई। परन्तु एक वर्ष पश्चात् उक्त लघुदण्ड का प्रभाव समाप्त हो जाने के पश्चात भी साहू को पुलिस इन्सपेक्टर पद पर प्रमोशन नहीं दिया गया। इससे क्षुब्ध होकर सब इन्सपेक्टर एफडी साहू ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए प्रमोशन की मांग की गई।

शिवकुमार शर्मा विरुद्ध हरियाणा बिजली बोर्ड एवं यूनियन ऑफ इण्डिया विरुद्ध एससी. पाराशर एवं अन्य के प्रकरण में यह निर्णय दिया है कि यदि किसी शासकीय अधिकारी-कर्मचारी को एक वर्ष की वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने के दण्ड से दण्डित किया जाता है तो ऐसी स्थिति में एक वर्ष पश्चात् दण्ड का प्रभाव समाप्त हो जाने पर उक्त शासकीय अधिकारी-कर्मचारी उच्च पद पर प्रमोशन एवं वेतनवृद्धि का पात्र है। परन्तु याचिकाकर्ता के मामले में उसे दिये गये लघुदण्ड का प्रभाव समाप्त हो जाने के पश्चात् भी उसे पुलिस इन्सपेक्टर पद पर प्रमोशन नहीं दिया गया।

यह भी पढ़े: BEd वालों की नौकरी पर संकट… हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार, कहा – 7 दिनों में जारी करें डीएड की नई चयन सूची

प्रमोशन तारीख से ही सभी लाभ देने के निर्देश

सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में शिवकुमार शर्मा एवं एससी. पाराशर के वाद में पारित न्याय निर्णय के आधार पर उक्त रिट याचिका को स्वीकार कर लिया। साथ ही याचिकाकर्ता को उक्त लघु दण्डादेश का प्रभाव समाप्त हो जाने पर वर्ष 2016 से निरीक्षक (इन्सपेक्टर) के पद पर प्रमोशन, सीनियरटी एवं अन्य आर्थिक लाभ प्रदान करने का आदेश किया गया।