script358 करोड़ का बिजली बिल बकाया, वसूलते नहीं घाटा दिखाकर बढ़ाएंगे टैरिफ | bilaspur: Outstanding electricity bill of 358 million, showing a loss not charge tariffs increase | Patrika News

358 करोड़ का बिजली बिल बकाया, वसूलते नहीं घाटा दिखाकर बढ़ाएंगे टैरिफ

locationबिलासपुरPublished: Oct 20, 2016 10:46:00 am

Submitted by:

Kajal Kiran Kashyap

हमेशा की तरह फिर इसके लिए कार्ययोजना तैयार करने की तैयारी की जा रही है।
बिलासपुर विद्युत रीजन के पांच जिलों में बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़,
कोरबा और मुंगेली जिले आते हैं।

New meters coming over electricity bill, bhopal

New meters coming over electricity bill, bhopal

शैलेन्द्र पाण्डेय. बिलासपुर. छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी बिलासपुर क्षेत्र के अफसर वसूली में हर साल की तरह इस साल भी फिसड्डी रहे। पांच जिलों के उपभोक्ताओं पर बिजली बिल का 358 करोड़ रुपए बकाया है। जिम्मेदार अफसर ठोस पहल कर इस बकाए की रकम को वसूलने में जोर लगाने के बजाए कंगाली दिखाकर हर साल नियामक आयोग के समक्ष शासकीय योजनाओं का हवाला देकर बिजली बिल का टैरिफ दर बढ़ाने का प्रस्ताव रख देते हैं। जिसकी सीधी मार आमजन पर की जेब पर पड़ती है। हमेशा की तरह फिर इसके लिए कार्ययोजना तैयार करने की तैयारी की जा रही है। बिलासपुर विद्युत रीजन के पांच जिलों में बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, कोरबा और मुंगेली जिले आते हैं।

इन जिलों में विद्युत वितरण कंपनी को बिल के बकाए की रकम 358 करोड़ रुपए वसूल करना है। कंपनी के अफसर हर माह बकाया बिल की वसूली कर कंपनी को संकट से उबारने के बजाए साल एेन दिवाली से लेकर वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन 31 मार्च कार्रवाई का दिखावा करते हैं। इसमें भी ये अफसर बड़े और रसूखदार बकाएदारों के बजाए छोटे उपभोक्ताओं पर ही कार्रवाई कर खानापूर्ति करते हैं। नतीजतन हर साल अरबों का बकाया रह जाता है।

नियामक आयोग के समक्ष बहाने की रिपोर्ट
वसूली में फिसड्डी अफसर अपनी खामी छिपाने के लिए कारण गिना देते हैं कि शासकीय योजना के तहत मुफ्त बिजली देने, कोयले की कीमत बढऩे से बिजली की लागत में बढो़तरी और डिफाल्टरी बढऩे समेत अन्य कारण गिनाकर फरवरी माह में नियामक आयोग के समक्ष सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में टैरिफ दर बढ़ाने की सिफारिश कर देते हैं।

इसलिए आ रहा अनाप-शनाप बिल

वितरण कंपनी के अफसर बिल की अदायगी न करने वालों से बिल का भुगतान तो करा नहीं पाते परंतु जो भुगतान कर रहे हैं उन्हीं पर विभिन्न प्रकार के भार दर्शाकर और टैरिफ दर बढ़ाकर भारी भरकम बिल लाद दिया जाता है। यही वजह है कि उपभोक्ताओं के घरों पर कारखाने जैसा भारी भरकम बिल पहुंच रहा है, जबकि उनके यहां इतनी मात्रा में खपत होती ही नहीं है।

सीधी बात: कैलाश नारनवरे, कार्यपालक निदेशक, बिलासपुर विद्युत क्षेत्र
क्त. क्या वजह है क्यों बकाए की रकम हर साल 3 -4 अरब तक पहुंच जाती है, वसूली क्यों नहीं कराते ?
्र. उपभोक्ता नियमित रूप से बिल का भुगतान नहीं करते इसलिए बकाए की रकम बढ़ जाती है, किसान कहते हैं कि फसल कटने पर बिल अदा करेंगे। वसूली के लिए अभियान जारी है।
क्त. क्या बकाए की रकम करोड़ों में पहुंचने के लिए मातहत अफसर दोषी नहीं है?
्र. कंपनी के अफसरों के पास और भी कार्य हैं। लाइन को मेंटेन कर आपूर्ति कराने पर ही पूरा ध्यान होता है।
क्त. क्या करेंगे बकाए की रकम पौने चार अरब तक पहुंच गई है, कैसे वसूली कराएंगे?
्र. दिवाली के बाद अभियान को और तेज करेंगे। जो लोग भुगतान नहीं करेंगे उनके घरों के कनेक्शन काटे जाएंगे।
क्त. एेसा कहा जा रहा है कि जागरूक उपभोक्ताओं पर और बिल लादा जाता है। उन्हें उनके बिल भी अदा करना होता है जो अदा नहीं करते?
्र. एेसा नहीं है उपभोक्ताओं को उनके घर और संस्थान की खपत के आधार पर ही बिल जारी किया जाता है। किसी पर अधिक भार लादने की बात गलत है।
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