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बिलासपुर

शरद पूर्णिंमा की चांदनी रात में होगा प्रकृति का दीदार, 16 कलाओं में नजर आएगा चंद्रमा

शरद पूर्णिमा की रात सबसे उज्जवल चांदनी छिटकती है। चांद की रोशनी में सारा आसमान घुला नजर आता है।

बिलासपुरOct 26, 2015 / 02:38 pm

सूरज राजपूत

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sharad purnima

बिलासपुर/जांजगीर-चांपा. शरद पूर्णिमा की रात सबसे उज्जवल चांदनी छिटकती है। चांद की रोशनी में सारा आसमान घुला नजर आता है। ऐसा लगता है कि मानो बरसात के बाद प्रकृति साफ और मनोहर हो गई है।

इस दिन 16 कलाओं में चंद्रमा नजर आता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही श्रीकृष्ण ने रास लीला की थी और इसी रात्रि को आसमान से अमृत बरसता है।

यही कारण है कि रात में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखकर सुबह प्रसाद की तरह ग्रहण किया जाता है।
शरद पूर्णिमा 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

पं. बीके तिवारी ने बताया कि शरद पूर्णिमा आश्विन माह की पूर्णिमा को कहते है और इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि के बाद मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर बैठकर धरती के मनोहर दृश्य का आनंद लेती हैं। साथ ही माता यह भी देखती हैं कि कौन भक्त रात में जागकर उनकी भक्ति कर रहा है।

इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को कोजागरा भी कहा जाता है। मान्यता है कि जो इस रात में जगकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं, मां लक्ष्मी की उन पर कृपा होती है।

शरद पूर्णिमा के विषय में ज्योतिषीय मत है कि जो इस रात जगकर लक्ष्मी की उपासना करता है उनकी कुण्डली में धन योग नहीं भी होने पर माता उन्हें धन-धान्य से संपन्न कर देती हैं।

हरदी में दी जाएगी दवा

अकलतरा क्षेत्र के ग्राम हरदी के महामाया मंदिर में शरद पूर्णिमा की रात 12 बजे से डॉ. पीआर देवांगन द्वारा श्वांस संबंधी बीमारियों को दूर करने के लिए खीर के साथ दवाएं बांटी जाएगी। इसके अलावा शहर व आसपास के कई गांव में अस्थमा बीमारी की दवा नि:शुल्क दी जाएगी।

शरद पूर्णिमा का महत्व

ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजन किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण और राधा की अद्भूत रासलीला का आरंभ भी शरद पूर्णिमा के दिन माना जाता है।

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