लेकिन कैसे जीत पाएंगे यह कोई नहीं बता पता है। भाजपा चुनाव जीतने के लिए वह सारे हथकंडे अपना चुकी है जो एक पार्टी चुनाव जीतने के लिए करती है। भाजपा पिछले 15 साल से सत्ता में मन की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी कोटा क्षेत्र के मतदाताओं मन के मटटोल नहीं पाई है कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि क्षेत्र की जनता भाजपा को इस सीट नहीं चाहती। इस मामले में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि इस बार इस सीट को जीत सकते हैं क्योंकि इस बार मुकाबला त्रिकोणीय रहेगा। कांग्रेस का वोट दो भाग में बंट जाएगा।
जिसका फायदा आसानी से मिल सकता है लेकिन अब एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर इस सीट से भाजपा के कोई प्रत्याशी चुनाव क्यों नहीं लडऩा चाहते? ऐसा नहीं है कि भाजपा ने अपने नेताओं को यहां से उतारने की कोशिश नहीं की। कई दिग्गज नेताओं का नाम कोटा से चलाया गया क्षेत्र का दौरा भी किए लेकिन नेताओ को समझ में आ गया इसलिए कोटा से चुनाव लडऩे से पीछे हट रहे हैं। सबसे पहले इस सीट से सांसद लखन लाल साहू का नाम चला। फिर प्रबल प्रताप सिंह का नाम चलाया गया इसके बाद कोई नहीं मिला तो फिर पुराने नेता काशीराम साहू की ओर दौड़े इस बीच रतनपुर के एक युवा नेता का भी नाम चल रहा है। लेकिन कुल मिलाकर बात यह सामने आ रही है इस सीट से चुनाव लउऩे के लिए कोई आगे नहीं आना चाहता है। प्रत्याशियों को पता है कि इस सीट से भाजपा को हार ही मिलती है।