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कानन पेंडारी में तीन साल से ब्रीडिंग बंद, वन्य प्राणियों की संख्या वृद्धि पर लगी रोक

locationबिलासपुरPublished: Nov 24, 2020 06:54:35 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

कानन पेंडारी को प्रदेश के अन्य जूं से सबसे ज्यादा शेर प्रजाति के वन्य प्राणी पाए जाने की प्रसिद्धि हासिल है। इसके अलावा यहां हर प्रकार के वन्य प्राणियों की ब्रीडिंग भी अधिक कराई जाती थी जिसके कारण शेर, चीतल, नील गाय, बाहरसिंघा की संख्या अधिक है।

कानन पेंडारी में तीन साल से ब्रीडिंग बंद, वन्य प्राणियों की संख्या वृद्धि पर लगी रोक

कानन पेंडारी में तीन साल से ब्रीडिंग बंद, वन्य प्राणियों की संख्या वृद्धि पर लगी रोक

बिलासपुर. कानन पेंडारी में तीन साल से ब्रीडिंग नहीं कराया जा रही है जिसके कारण वन्य प्राणियों की संख्या में होने वाली वृद्धि पर रोक लग गई है। हर साल करोड़ों की बजट होने के बावजूद नया केज का निर्माण अब तक नहीं कराया गया है। अब सीजेडए का नियम बताकर वन्य प्राणियों को अन्य प्रांत के जूं को दिया जा रहा है जिससे वन्य प्राणियों की संख्या कम हो रही है। कानन पेंडारी में 9 मादा और 7 नर शेर हैं। सभी शेर शरनी युवा अवस्था की बताई जा रही हैं।

कानन पेंडारी को प्रदेश के अन्य जूं से सबसे ज्यादा शेर प्रजाति के वन्य प्राणी पाए जाने की प्रसिद्धि हासिल है। इसके अलावा यहां हर प्रकार के वन्य प्राणियों की ब्रीडिंग भी अधिक कराई जाती थी जिसके कारण शेर, चीतल, नील गाय, बाहरसिंघा की संख्या अधिक है। कानन पेंडारी में वन्य प्राणियों की संख्या लगातार बढ़ती गई लेकिन वन्य प्राणियों के रहने के लिए नए केज का निर्माण नहीं किया गया।

पिछले पांच साल से नए केज बनाने और मांसाहारी वन्य प्राणियों के केज की लंबाई चौड़ाई की कानन प्रबंधन द्वारा कई बार कागजी कार्रवाही की गई। लेकिन योजना धरातल पर नहीं आई। इसको लेकर जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार अफसरों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। ऐसा नहीं है कि कानन पेंडारी के उत्थान के लिए बजट नहीं आता था। करोड़ों रुपए की बजट और कानन पेंडारी के लाखों रुपए की गेट मनी मिलने के बाद भी इस पर काम नहीं किया गया।

20 से अधिक वन्य प्राणी भेज चुके हैं बाहर

कानन पेंडारी में 36 शेर थे जिसमें से 20 को दूसरे प्रांत को दिया जा चुका है हालांकि कुछ जगहों से इसके बदलने में दूसरा वन्य प्राणी लाया गया है। वर्तमान में कानन पेंडारी में 16 वन्य प्राणी हैं जिसमें सफेद शेर एक नर दो मादा,रायल बंगाल टाइगर 3 नर 3 मादा, बब्बर शेर 3 नर 4 मादा हैं।

प्रजाति बढ़ाने योजना में मिली सफलता

वन्य प्राणियों की संख्या को बढ़ाने के साथ साथ शेर के विभिन्न प्रजातियों को बढ़ाने का काम किया गया जो अपेक्षा से ज्यादा सफलता मिली। सफेद शेर का रायल बंगाल टाइगर से ब्रीडिंग कराना, बब्बर शेर का सफेद शेर और रायल बंगाल से ब्रीडिंग कराना काफी हद तक सफलता मिली।

इसलिए एक साथ नहीं रखा जाता

सफेद शेर, रायल बंगाल टाइगर, बब्बर शेर को अलग अलग केज में रखा जाता है। एक साथ इनको ब्रीडिंग के दौरान छोड़ा जाता है। आपस में भिडंत न हो इसलिए केज के आगे पीछे 8 से 10 कर्मचारी तैनात किए जाते थे। एक दो बार ऐसी घटना हो चुकी है लेकिन कर्मचारियों की सक्रियता के कारण किसी प्रकार की दुर्घटना नहीं हुई।

हिट होने पर हमला भी कर देते हैं

दो साल पहले एक नर तेंदुआ अपने बाजू वाले मादा तेंदुआ के केज को तोड़कर घुस गया और मादा तेंदुआ को मार डाला था। कानन पेंडारी द्वारा हमले की जांच की गई तो बात सामने आई कि नर हिट हो गया था। दोनों के बीच ब्रीडिंग की प्लानिंग की जा रही थी इस बीच यह घटना घट गई।

एक साल में होता है ब्रीडिंग

शेर साल में दो बार शावक को जन्म दे सकती है लेकिन कानन पेंडारी में एक साल एक ही बार ब्रीडिंग कराई जाती है। एक बार शेरनी दो तीन या शावक को जन्म देती है। कानन में 9 मादा है शेरनी हैं। अगर हर साल इनसे तीन शावक लिया जाता तो अब तक कानन में 27 वन्य प्राणी हो जाते। वर्तमान में 16 शेर हैं इन सबको मिलाकर शेर की संख्या 43 हो जाती।

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