scriptइस विधि से 30 प्रतिशत तक ज्यादा बढ़ेगा आपका अर्जुन और शीशम का पौधा | By this method, your Arjun and rosewood plant will grow up to 30 perc | Patrika News

इस विधि से 30 प्रतिशत तक ज्यादा बढ़ेगा आपका अर्जुन और शीशम का पौधा

locationबिलासपुरPublished: Jan 11, 2020 11:33:06 am

Submitted by:

JYANT KUMAR SINGH

वानिकी, वन्य जीव एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग में शोध में ये बात सामने आई कि विशेष प्रकार के माइकोराइजा के प्रयोग से इनके ग्रोथ में ३० प्रतिशत की वृद्धि होती है।

इस विधि से 30 प्रतिशत तक ज्यादा बढ़ेगा आपका अर्जुन और शीशम का पौधा

इस विधि से 30 प्रतिशत तक ज्यादा बढ़ेगा आपका अर्जुन और शीशम का पौधा

बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) प्राकृतिक संसाधन विद्यापीठ के अंतर्गत वानिकी, वन्य जीव एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग में वन, वन्य प्रजातियों, जंगलों में पाई जाने वाली विभिन्न प्रजातियों के पौधों, पर्यावरण संबंधी आंकड़ों एवं विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों सं संबंधित आंकड़ों का विश्लेषण कर अध्ययन किया जा रहा है।
अर्जुन और शीशम के पौधों को नर्सरी में लगाने एवं विशेष प्रकार के माइकोराइजा के प्रयोग से इनके विकास में तीस फीसदी की वृद्धि के आंकलन का अध्ययन इस शोध में किया गया है। मुर्रम वाली लाल मिट्टी में अर्जुन और शीशम के पौधों लगाते हैं साथ ही उसमें माइकोराइजा का प्रयोग करते हैं तो पौधों में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि के साथ ही पौधों में विपरीत परिस्थिति में पानी बचाकर भी जीवित रहते हैं। माइकोराइजा के प्रयोग से नर्सरी में उच्च गुणवत्ता के पौधों को तैयार किया जा सकता है। इस विषय पर शोधार्थी डॉ. अतुल कुमार भारद्वाज ने शोध किया है। उनके शोध निर्देशक डॉ? के?के? चन्द्रा, सह-प्राध्यापक, वानिकी, वन्य जीव एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग हैं। उक्त शोध का विषय इंवेस्टिगेसन आन ग्रोथ रेस्पोंसेस ऑफ सम फारेस्ट ट्री स्पीशीज टू सिम्बायोटिक आर्बसकुलर मायकोराईजल फन्गाई इनोकुलेसन इन डीग्रेडेड एन्टीसाल साइल है। इनका पंजीयन नवंबर 2014 में किया गया तथा जुलाई 2019 में इन्हें शोध उपाधि प्रदान की गई। वर्तमान में अतुल कुमार भारद्वाज गुरू घासीदास विश्वविद्यालय के वानिकी, वन्य जीव एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।
कैसे करता है काम
मुरुम वाली मिट्टी में मायकोराईजल फन्जाई सहजीवी के रूप में जड़ में पाए जाते हैं तथा पौधे को पानी एवं पोषक पदार्थ उपलब्ध कराने में मदद करते हैं। इनकी संख्या इस मिट्टी में कम होती है इस कारण इनका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं पड़ता। अगर इनकी संख्या को वन नर्सरी में पौधे तैयार करने के समय ही बढ़ा दिया जाय या फिर पौधा रोपण के समय मिट्टी में डाल दिया जाये तो निश्चित तौर पर पौधों में 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक अधिक बढ़त होती है साथ ही पौधे सूखे के बावजूद भी 5 से 7 दिन तक अधिक पानी अवशोषित कर लेते हैं। शोध में यह भी पाया गया कि मायकोराईजल फन्जाई पौधे के प्रकाश संश्लेषण कि प्रक्रिया को भी बढ़ा देता है जिसके फलस्वरूप पौधे का विकास जल्दी से जल्दी होता है।
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