वहीँ अधिवक्ता जेठमलानी ने मामले की सुनवाई के वक्त कोर्ट में कहा की आखिर किन प्रावधान के तहत एसआईटी का गठन किया गया था ? शासन के समक्ष ऐसी क्या मज़बूरी आयी की इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा ?
1 मार्च को होगी अगली सुनवाई। तब तक एसआईटी द्वारा न कोई जांच, न गिरफ्तारी न ही बयान लेने का आदेश दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार को दायर याचिका में कहा गया है कि प्रदेश की भूपेश सरकार बदलापुर की राजनीति कर रही है और बदले की भावना से पूर्ववर्ती सरकार के लगभग सभी बड़े फैसलों पर एसआईटी जांच के बहाने बदला लेने की कोशिश कर रही है। ये प्रजातांत्रिक मूल्यों के विपरित है और न्यायालय इस पर एक्शन ले। साथ ही ये भी कहा गया है कि एसआईटी जांच के बहाने अधिकारियों को परेशान करने की कोशिश की जा रही है, जो कि स्वस्थ परंपरा नहीं है। ज्ञात हो कि अमन सिंह मामले में हाईकोर्ट द्वारा एसआईटी जांच पर वक्ती तौर पर रोक लगाए जाने के बाद इस मामले में भी कुछ निर्णय की संभावना हो। हालांकि याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले में कोर्ट का जो भी निर्णय होगा, उन्हें मंजूर है।