बिलासपुर

जनहित याचिका: भिक्षावृत्ति नहीं कोई जुर्म, 1973 में मध्यप्रदेश में पारित हुआ था, जिसे अपना लिया गया

chhattisgarh high court: भिक्षावृत्ति को असंवैधानिक घोषित किए जाने के खिलाफ जनहित याचिका स्वीकार

बिलासपुरFeb 05, 2020 / 06:52 pm

Murari Soni

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बिलासपुर. सीजे पीआर मेनन व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ ने छत्तीसगढ़ भिक्षा वृत्ति निवारण अधिनियम और उसके अंतर्गत नियमों को असंवैधानिक घोषित किए जाने के लिए दायर जनहित याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। साथ ही राज्य शासन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।
उक्त याचिका अधिवक्ता अमन सक्सेना ने पिटिशनर इन पर्सन बनकर दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार का भिक्षावृत्ति विधान भिक्षा मांगने को जुर्म करार देता है। साथ ही पुलिस को अधिकार है कि भिक्षा मांगने वाले किसी भी संदिग्ध को डिटेन कर डिटेंशन सेंटर में वर्षों रख सकती है। ये विधान 1973 में मध्यप्रदेश में पारित हुआ था, जिसे छत्तीसगढ़ गठन के बाद इसे अपना लिया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि भिक्षा मांगने वाले अपना जीवन यापन किसी तरह कर पाते हैं, वे मुकद्मेबाजी का खर्च नहीं उठा पाएंगे। लिहाजा सरकार उन्हें सहयोग व समर्थन दे। जनगणना के अनुसार भिक्षा मांगकर जीवन यापन करनेवाले परिवारों की संख्या याचिका में 25 हजार बताई गई है। हाईकोर्ट ने प्रकरण को सुनवाई के लिए स्वीकार कर राज्य शासन को चार सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

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