पुष्पराज सिंह ने चौथे बिन्दु में खुद पर हुए एफआईआर पर चर्चा करने की मांग की है जिसमें उसने बताया है कि मई 2018 में वह अस्वस्थ्य थे। उन्होंने ट्रैफिक मुख्यालय से अस्वस्थ्य होने की जानकारी डाक से पुलिस अधीक्षक कार्यालय भेजा था, जिसमें डॉक्टर द्वारा लिखे गए बेड रेस्ट की भी जानकारी दी गई थी। चिकित्सा अवकाश पर होने के बाद भी पुलिस कर्मी ने उन्हें फोन पर यह जानकारी दी कि वे उनके गृहग्राम मुंगेली आए हैं। विभागीय नोटिस तामिल करना है। इसके बाद से उनके परिवार के सदस्यों और मित्रों को पुलिस ने परेशान करना शुरू कर दिया। परिजनों और मित्रों को थानों में कई घंटों तक बैठाकर मानसिक प्रताडऩा देने के साथ-साथ झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी गई। पुलिस परिवार आंदोलन के दौरान पकडऩे के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाया गया था।
पुष्पराज सिंह ने 17 सितंबर को प्रदेश के गृहमंत्री को पत्र भेजकर खुद पर हमला होने की आशंका व्यक्त की है। उन्होंने गृहमंत्री से सुरक्षा की मांग की है। गृहमंत्रालय ने 4 अक्टूबर को बिलासपुर आईजी को आदेश जारी कर पुष्पराज सिंह के मामले का परीक्षण कर नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। वहीं पत्र के बाद मामला लोगों की जुबान आ गया है।
पुष्पराज सिंह ने एसपी नीतू कमल को भेजे गए पत्र में खुली बहस के लिए सार्वजनिक मंच, मीडिया, प्रेस क्लब या टीवी चैनल के माध्यम से बहस करने की मांग की है। साथ ही पत्र के जवाब के लिए पुष्पराज सिंह ने 25 अक्टूबर तक का समय दिया है।