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मां की कृपा से यहां मुर्दा हो गया था जिंदा तभी से इस देवी मंदिर का नाम हो गया मरीमाई मंदिर, अब लग रहता है दुखियारों का मेला

locationबिलासपुरPublished: Apr 05, 2019 09:00:06 pm

Submitted by:

BRIJESH YADAV

कभी घने जंगल से घिरा था परिसर, वर्षों पुराना है मंदिर का इतिहास, शांति सौहार्द का प्रतीक भी है ये मंदिर

Chhattisgarh Unique story on Navratri special

मां की कृपा से यहां मुर्दा हो गया था जिंदा तभी से इस देवी मंदिर का नाम हो गया मरीमाई मंदिर, अब लग रहता है दुखियारों का मेला

बिलासपुर. शहर के बीचोंबीच तालापारा स्थित मरीमाई मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। मंदिर प्रबंधन की माने तो यह मंदिर तब से है जब बिलासपुर एक ग्राम पंचायत हुआ करता था। घने जंगल के बीच में माता का मंदिर था, इस मंदिर में सभी की मुरादें पूरी होती हैं। वर्षों पहले मां की शरण में लाए गए एक मुर्दा में अचानक जान आ गई तभी से इस मंदिर का नाम मरीमाई हो गया। धीरे-धीरे यहां लोग रहने लगे। अब मंदिर में रोग दुखों से ग्रस्त लोग पहुंचते हैं और माता सभी के कष्टों का हरण करतीं हैं। यह मंदिर शहर में शांति सौहार्द का प्रतीक भी है, मंदिर के आसपास मुस्लिम समुदाय के लोग बढ़ी संख्या में रहते हैं जो धार्मिक आयोजन में पूरा सपोर्ट करते हैं। चंद कदमों पर मस्जिद भी है। सभी लोग शांति सौहार्द के साथ सभी की आस्था का ख्याल रखते हैं।

युवा भी पहुंचते हैं मंदिर
मंदिर परिसर में मरीमाई माता के अलावा, शीतला माता, मोतीझीरा माता, नवदुर्गा, महामाया, खुजली माता और अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा विराजमान हैं। मंदिर में दीन दुखयारों के अलावा बढ़ी संख्या में युवा भी पहुंचते हैं। युवा पढ़ाई में अच्छे अंकों की मुराद लेकर पहुंचते हैं। माता सभी की मनोकामनाएं पूरी करतीं हैं।

नवरात्रि पर विशेष आयोजन:
चैत्र नवरात्रि कल से शुरू हो रहीं हैं। मंदिर रोशनी से गुलजार है। एक दिन पूर्व मंदिर प्रबंधन द्वारा सभी धार्मिक आयेाजन तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं। नवरात्रि पर यहां भजन-कीर्तन होगा। रंगाई-पुताई से लेकर लाइटिंग हो चुकी हैं। वहीं शनिवार की सुबह 6 बजे से ही भीड़ शुरू हो जाएगी।
शांति सौहार्द का संदेश
तालापारा स्थित मरी माई मंदिर के पास मस्जिद भी है और बढ़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी निवास करते हैं। क्षेत्र में शांति-सौहार्द का ऐसा वातावरण है कि मंदिर के आयोजन में मुस्लिम समुदाय के लोग सहयोग करते हैं। चंदा भी देते हैं और धार्मिक भावनाओं को ख्याल रखा जाता है।
ये काफी पुराना मंदिर हैं, यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की देवी सभी मनोकामनाएं पूरी करतीं हैं। वर्षभर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के साथ-साथ विवाह कार्यक्रम भी कराए जाते हैं।
उमाशंकर जैसवाल
पुजारी, मरीमाई मंदिर
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