सरकंडा पुलिस के अनुसार बाल संप्रेक्षण गृह में किशोर के फांसी लगाने के बाद पुलिस को सूचना देने संप्रेक्षण गृह का चौकीदार उमाशंकर नवरंग पिता सौपत राम नवरंग थाने पहुंचा था। उसने खुद को संप्रेक्षण गृह का चौकीदार बताया था। जांच में यह बात सामने आई है कि उमाशंकर चौकीदार नहीं बल्कि तत्कालीन अधीक्षिका द्वारा नियुक्ति किया गया बाउंसर है।
बच्चों को पीटने और धमकाने के लिए, संप्रेक्षण गृह को सुधार गृह नहीं बल्कि जेल साबित करने के लिए। कहां से लाए गए बाउंसर
5 बाउंसरों में 4 शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। वहीं 1 बाउंसर जांजगीर-चांपा जिले का रहने वाला है।
46 बच्चों के सोने के लिए 6 कमरे, पढ़ाई व मनोरंजन के लिए 1 हॉल है।
निगरानी के लिए दिन में 2 व रात्रि में 2 चौकदार नियुक्त हैं, इन्हीं को बच्चों की देखरेख का जिम्मा दिया गया है। क्यों लाए गए
संप्रेक्षण गृह में पहुंचने वाले भटके बच्चों से मारपीट और परेशान कर उनके परिजनों से मोटी रकम ऐंठी जा सके, जिसका फायदा खुद के लिए और अधिकारियों के लिए किया जा सके।
प्रत्येक मंगलवार को निर्धारित मुलाकात के दिन परिजन जब बच्चों से मिलते हैं तो बच्चे प्रताडि़त करने की जानकारी देते हैं। भुगतान की राशि बाउंसर लेतेे हैं और अधिकारियों तक पहुंचाते हैं।
किशोर ने जिस कमरे में फांसी लगाई थी, वह बच्चों के सोने के 6 कमरों से लगा हुआ है। उस कमरे में बच्चे नहाने के बाद कपड़े बदलते हैं। इस कमरे में संप्रेक्षण गृह में पहली बार पहुंचने वाले बच्चों को डराने और प्रताडि़त करने के लिए रात में सोने के लिए भेजा जाता है। कमरे में न तो पंखा है और न ही लाइट की व्यवस्था है। 26 जुलाई की रात इसी कमरे में मृतक(Child suicide case) किशोर को सोने के लिए अकेले भेजा गया था। इस कमरे को बाल संप्रेक्षण गृह के बच्चे कोड वर्ड में वीआईपी रूम बोलते हैं।
बाल संप्रेक्षण गृह में बच्चों के बीच विवाद या मारपीट होती है तो बाउंसर पहले दोनों बच्चों की पीटते हैं। इसके बाद बच्चों को एक समय का भोजन नहीं दिया जाता है और भूखे पेट सोने के लिए वीआईपी रूम में भेज दिया जाता है। इसके साथ ही बच्चों को 4 दिनों तक खाने में सिर्फ चावल और नमक सजा के तौर पर दिया जाता है।
सूत्रों के अनुसार अधीक्षिका द्वारा सबसे पहले जांजगीर निवासी एक बाउंसर को लेनदेन के लिए रखा गया था। इसके बाद 4 अन्य बाउंसरों को नियुक्ति किए जाने के बाद बच्चों के परिजनों मिलने वाली राशि के बंटवारे का विवाद होने लगा। विवाद होने पर जांजगीर-चांपा निवासी बाउंसर संप्रेक्षण गृह से कुछ दिनों पूर्व चला गया।