जानकारी के अनुसार ऑनलाइन फ्रॉड गिरोह आमतौर पर झारखंड, ओडिशा और कोलकाता से देशभर में लोगों को कॉल कर ठगी का शिकार बनाते हैं। झारखंड के गिरीडीह, जामजाड़ा धनबाद और असपास के जंगली क्षेत्रों में रहने वाले गांवों में रहने वालों का काम ही ऑनलाइन फ्रॉड करना होता है। जिले में हुए ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में जांच कर रही साइबर सेल की टीम ने जनवरी 2020 से जून 2020 तक 6 महीनों में करीब डेढ़ दर्जन आनलाइन फ्रॉड के आरोपियों का सुराग लगाने में सफल हुई है।
इन मामलों के आरोपियों को पकडऩे पुलिस टीम झारखंड और अन्य स्थानों पर भेजी जाती थी, लेकिन वर्तमान में कोरोना वायरस ने पुलिस के पैरों में बेडि़या डाल दी है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए अधिकारियों ने कर्मचारियों को दूसरे प्रदेशों में जाने की अनुमति पर पाबंदी लगा दी है।
कई मामले लाखों में
जिले में पिछले ६ महीनों में हुए आनलाइन फ्रॉड के मामलों में कई मामलों में ठगों ने लाखों की रकम खाते से उड़ा दी है, जिसमें सिविल लाइन थाना क्षेत्र में रहने वाले रिटायर्ड एसआई पदुमनाथ के खाते से ठग ने९लाख रुपए पार किए हैं। इसी प्रकार रतनपुर में रहने वाले राहुल जायसवाल के खाते से ठग ने पौने ३ लाख रुपए नकद पार किए हैं।जिले के थानों में दर्ज करीब डेढ़ दर्जन आनलाइन ठगी के मामलों में पुलिस ने आरोपियों का सुराग लगा लिया है।
आरोपी मिलेंगे, लेकिन रकम नहीं
हर बार पुलिस झारखंड, बिहार, ओडिशा और बंगाल से ऑनलाइन फ्रॉड गिरोह के पकड़कर लेकर जरूर है ,लेकिन उनके आनलाइन फ्रॉड के मुकाबले बरामदगी १० फीसदी भी नहीं होती है। पुलिस यह दावा करती है कि आरोपी ने ने १०० से अधिक ऑनलाइन फ्रॉड किए हैं, लेकिन बरामदगी के नाम पर पुलिस के पास एक नया पैसा भी नहीं होता है। इस बार पुलिस को ठग गिरोह को पकडऩे नहीं जाने का पहले ही बहाना मिल चुका है। जब उन्हें आरोपियों को पकडऩे जाने की अनुमति मिलेगी तब तक आरोपी ठगी की रकम का उपयोग कर चुके होंगे। हर बार की तहर पुलिस को आरोपी ही मिलेंगी और बरामदगी के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगी।