बिलासपुर . शुरुआती गर्मी में लगातार गिरते जलस्तर ने जिला प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। कलेक्टर ने पूरे जिले को जलाभाव क्षेत्र घोषित करते हुए ग्रीष्म ऋतु के दौरान जिले में नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है। अनुमति प्रदान करने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में 6 प्राधिकृत अधिकारी बनाए गए हैं। वहीं शासकीय एजेंसियों को इससे मुक्त रखा गया है, उन्हें इसकी जानकारी संबंधित प्राधिकृत अधिकारियों को देनी होगी। अधिनियम का उल्लंघन कर बोर कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। गर्मी शुरू होते ही शहर से लेकर जिले के गांवो में जलस्तर में गिरावट आने से जलसंकट की स्थिति निर्मित हो गई है। कलेक्टर ने ग्रीष्मकालीन ऋतु को
ध्यान में रखते हुए आमजन को पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए छग पेयजल परीरक्षण अधिनियम 1986 की धारा के तहत मानसून आगमन तक पूरे जिले को जलाभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित करते हुए निजी नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगाने का फरमान जारी किया है। इस आदेश के बाद शहर और जिले में बिना अनुमति के नलकूप का खनन नहीं किया जा सकेगा। कलेक्टर ने जनसुविधा को ध्यान में रखते हुए अधिनियम की धारा 6 के तहत खनन की अनुमति प्रदान करने के लिए आधा दर्जन प्राधिकृत अफसरों नियुक्ति की है। जिसके तहत बिलासपुर नगर निगम सीमा क्षेत्र के लिए अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी को प्राधिकृत किया गया है। वहीं बिलासपुर,
कोटा , बिल्हा, मस्तूरी, कोटा और पेंड्रारोड राजस्व अनुविभाग के अनुविभागीय अधिकारियों को प्राधिकृत अधिकारी बनाया गया है।
ये प्राधिकृत अधिकारी अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में छत्तीसगढ पेयजल परीरक्षण अधिनियम के प्रावधान के मुताबिक आवश्यक होने पर नलकूप खनन की अनुमति प्रदान करने की कार्रवाई करेंगे। यदि किसी व्यक्ति या एजेंसी द्वारा उक्त अधिनियम का उल्लंघन कर नलकूप खनन कराना पाया जाता है तो उसके विरूद्ध अधिनियम के प्रावधान के तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं शासकीय एजेंसियों लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, नगर पालिक निगम एवं नगर पंचायतों को अपने अधिकारिता क्षेत्र में नलकूप खनन कराने अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी, उन्हें ग्रीष्मकाल में खनन कराए जाने वाले नलकूप खनन की जानकारी प्राधिकृत अधिकारी को भेजनी होगी।