ज्ञात हो कि वन प्रबंधन के निर्देश पर कलेक्टर बिलासपुर ने एक वर्ष पहले अचानकमार टाइगर रिजर्व के आम रास्ते को आम लोगों के आवागमन के लिए बंद कर दिया था। प्रशासन का मानना था कि ये इलाका बाघों के संरक्षण के लिए रिजर्व है, इसे मार्ग के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। वाहनों और आम लोगों के गुजरने से वन्य प्राणियों व राहगीर को नुकसान हो सकता है। इस मार्ग का उपयोग वन्य जीव भोजन और पानी की तलाश के लिए कारिडोर की तरह करते हैं, और इसी रास्ते से आना-जाना करते हैं। कलेक्टर बिलासपुर के आदेश के बाद अचानकमार टाइगर रिजर्व के रास्ते को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था। इस मामले में कांग्रेस नेता धर्मजीत सिंह और मणिशंकर पांडेय द्वारा जनहित याचिका लगाकर रास्ता खोलने की मांग की गई। कहा गया कि इस रास्ते का उपयोग वनों में निवास करने वाले वनवासी प्रमुख रूप से करते हैं। इस रास्ते से ही एटीआर में रहने वाले छात्र पढ़ाई के लिए बिलासपुर आना-जाना करते हैं। किसी की तबीयत खराब हो जाए या डिलिवरी करानी हो तो अस्पताल ले जाने के लिए इस रास्ते का ही इस्तेमाल होता है। इस रास्ते को बंद करने से अचानकमार व क्षेत्र के कई गांवों का संबंध बिलासपुर से कट गया है। इससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
टाईगर हैं भी या नहीं!: बुधवार को इस मामले की पैरवी करते हुए अधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने कहा कि टाइगर रिजर्व के नाम पर एटीआर के मार्ग को बंद किया जाना सरासर गलत है। अचानकमार में टाइगर हैं, भी या नहीं इस बारे में वन विभाग ने आज तक ना ही कोई प्रमाण पेश किया है ना ही कोई स्पष्ट जानकारी दी है। सिर्फ टाइगर रिजर्व के नाम पर मार्ग को बंद करने से वनवासियों को काफी कठिनाई हो रही है और उनका संबंध आम दुनिया से कट सा गया है। लोकहित में इस मार्ग को खोलने का आदेश दिया जाए। जस्टिस संजय के अग्रवाल ने मामले की सुनवाई के बाद कलेक्टर के आदेश को रद्द करते हुए अचानकमार के बंद दरवाजे को आम जनों के लिए खोलने का आदेश दिया है।