पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन से रिक्त हुई मरवाही विधानसभा सीट पर हो रहे उप-चुनाव में रोमांच खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। जोगी की विरासत संभालने की आकांक्षा रखने वाले अमित जोगी को चुनाव लडऩे का मौका नहीं मिला। उनकी पत्नी डॉ. ऋचा जोगी का नामांकन भी निरस्त हो गया। उन दो स्थानीय प्रत्याशियों का नामांकन भी अलग-अलग कारणों से रद्द हो गया जिन्हें जेसीसी की तरफ से आखिरी मौके पर उतारे जाने की तैयारी थी।
17-18 सालों तक एकतरफा बढ़त रखने वाले जोगी परिवार के लिये मतदाताओं से अचानक अलग होना मुमकिन नहीं था। इसलिये चुनाव नहीं लड़ पाने के बावजूद ‘न्याय’ के लिये यात्रा निकाली जा रही थी। अमित जोगी की पल-पल की गतिविधि पर नजर रखने वाले कांग्रेस नेताओं ने पाया कि यह यात्रा दरअसल चुनाव को कांग्रेस के विरुद्ध प्रभावित करने का तरीका है।
उनकी यात्रा कांग्रेस को नुकसान पहुंचायेगी क्योंकि अमित जोगी के हिसाब से अन्याय तो कांग्रेस ने किया है। डॉ. ऋचा जोगी का जाति प्रमाण-पत्र निलम्बित होना, अमित जोगी का जाति प्रमाण पत्र ऐन मौके पर निरस्त होना, फिर दोनों का नामांकन भी रद्द हो जाना। ये सभी प्रशासनिक, संवैधानिक क्रियाकलाप हैं। इसके बावजूद यह दर्ज है कि यह सरकार छत्तीसगढ़ में लगातार हार रही उस कांग्रेस की है जिसने जोगी परिवार के पार्टी से बाहर करने के बाद तीन चौथाई सीट बीते विधानसभा में हासिल की।
कांग्रेस की ओर से शिकायत होने की आहट के बाद जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की विधायक डॉ. रेणु जोगी ने अपने गृह जिले, जिसमें मरवाही विधानसभा क्षेत्र आता है, में जनसम्पर्क और कोरोना जागरूकता के लिये जनसम्पर्क की अनुमति मांगी। जब तक गौर नहीं किया गया था यह सम्पर्क जारी था। अनुमति नहीं मिलने का अंदेशा था और वही हुआ। आज से स्व. जोगी की बायोग्राफी वाली किताबें कम से कम भीड़ लगाकर तो नहीं बांटी जा रही है।
अब मैदान में कांग्रेस है, भाजपा है। दोनों बीते चुनाव में हारे हुए दलों के प्रत्याशी। जो जोगी रिकार्ड मतों से जीतते आ रहे थे वे चुनावी मैदान से पूरी तरह बाहर। पर इससे यह निष्कर्ष निकालना कि जोगी का अब कोई नाम लेने वाला नहीं, गलत होगा। जोगी नहीं हैं, जोगी परिवार भी नहीं हैं, लेकिन उनका जिक्र कांग्रेस भाजपा के प्रत्याशी और उनकी ओर से पहुंचे दोनों पार्टियों के नेता अपने भाषणों में करना नहीं भूल रहे हैं। जोगी की जरूरत को इन लोगों ने जिंदा रखा है।
कांग्रेस जोगी को नकली आदिवासी बताकर असली आदिवासी प्रत्याशी को जिताने की बात कर रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम तो कुछ ज्यादा ही मुखर हैं। उनकी मुखरता के खिलाफ कोटा विधायक डॉ. रेणु जोगी ने चुनाव आयोग से शिकायत भी कर दी है। कांग्रेस का पक्ष यह है कि बीते चुनावों में लगातार जिताते आ रहे जोगी परिवार को मरवाही को लोग अब गैर आदिवासी मानें। वे अपनी परम्परागत कांग्रेस के प्रति आस्था को महत्व दें।
दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी डॉ. गंभीर सिंह और उनकी पार्टी के तमाम नेता इस भरोसे में है कि मतदाता जोगी के परिवार से सत्ता के द्वारा किसी को भी चुनाव नहीं लडऩे देने की वजह से उनके साथ आयेंगे। भाजपा सभाओं में कह रही है अमित जोगी को लडऩे देना था, उनके साथ ठीक नहीं हुआ। स्थिति यह है कि एक तरफ जोगी मार्का को शून्य करने की कोशिश हो रही है दूसरी तरफ जोगी को ब्रांड अम्बेसडर बनाया जा रहा है। इन दोनों कोशिशों के बीच मरवाही के मतदाताओं को परख लेना ही चुनाव परिणाम है।