…मुॢगयों के बाद मटन और मछली में भी हो सकता है असर … कोरोना के डर का प्रतिकूल असर पोल्ट्री व्यवसाय पर भी पड़ा है। आलम ये कि अब चिकन नहीं बिक पा रहा है। डाक्टरों का ऐसा मानना है इसका असर मटन और मछली में भी पड़ सकता है। इस समय मांस मछली से दूर रहने की सलाह दिया जा रहा है। वहीं पोल्ट्री फार्म वाले मुर्गियों को शहर के दूर दराज गावों में फेकना शुरु कर दिए हैं। शनिवार को एक डम्पर में लगभग 500 मुर्गियों को पटैता के जंगल में छोड़ दिया। वहीं सीएमएचओ ने भी मांस मटन के सेवन से दूर रहने की सलाह दी है।
यहां लोगों ने कोरोना के डर से ब्रायलर चिकन से मुंह मोड़ लिया है। जिससे पाल्ट्री व्यवसायियों व मुर्गी पालने वाले किसानों को खासा नुकसान हुआ है। पोल्ट्री फार्म के संचालक अब मुर्गियों को जंगल या फिर शहर के बाहरी इलाका में फेंकना शुरु कर दिए हैं। अब तक लोग मटन और मछली में कोरोना का प्रकोप नहीं है समझकर खा रहे थे लेकिन डाक्टर इस बात का गारंटी नहीं दे रहे हैं मटन और मछली में कोरोना का प्रकोप नहीं हो सकता है। डाक्टरों का कहना है कि इस बारे में हम स्पष्ट रुप से कुछ भी नहीं कह सकते हैं लेकिन लोगों को सावधानी बरतने की आवश्कता है। दस मार्च को होली का त्यौहार है इस दिन मांस मटन की बिक्री अधिक रहती है। मुर्गियों का मार्केट की हालत बेहद खराब है अब मटन और मछली पर भी असर पडऩे लगा है।
यहां लोगों ने कोरोना के डर से ब्रायलर चिकन से मुंह मोड़ लिया है। जिससे पाल्ट्री व्यवसायियों व मुर्गी पालने वाले किसानों को खासा नुकसान हुआ है। पोल्ट्री फार्म के संचालक अब मुर्गियों को जंगल या फिर शहर के बाहरी इलाका में फेंकना शुरु कर दिए हैं। अब तक लोग मटन और मछली में कोरोना का प्रकोप नहीं है समझकर खा रहे थे लेकिन डाक्टर इस बात का गारंटी नहीं दे रहे हैं मटन और मछली में कोरोना का प्रकोप नहीं हो सकता है। डाक्टरों का कहना है कि इस बारे में हम स्पष्ट रुप से कुछ भी नहीं कह सकते हैं लेकिन लोगों को सावधानी बरतने की आवश्कता है। दस मार्च को होली का त्यौहार है इस दिन मांस मटन की बिक्री अधिक रहती है। मुर्गियों का मार्केट की हालत बेहद खराब है अब मटन और मछली पर भी असर पडऩे लगा है।
लोग नानवेज न खांए तो ज्यादा बेहतर होगा, लोगों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग हर वर्ग के लोगों को एतिहात बरतने की अपली है। डॉ. प्रमोद महाजन, सीएमएचओ