गुरुवार को सुनवाई के दौरान प्रदेश के सभी नगर निगमों ने अपना पक्ष रखा। विदित हो कि सड़क पर आवारा पशुओं से होनी वाली परेशानी को लेकर राकेश चिकारा की ओर से एक जनहित याचिका नवंबर 2019 में लगाई गई है। इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रदेश के सभी नगर निगमों को पार्टी बनाने को कहा था। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पलाश तिवारी ने बताया कि गुरुवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने दोनों पक्षों यानि याचिकाकर्ता और नगर निगमों से सुझाव मांगा। याचिकाकर्ता की ओर ये सुझाव दिया गया कि मवेशियों के सिंग में कुछ कलर लगाया जाए जिससे सड़क पर उनके होने का पता चले। गले में रेडियम पट्टा लगाया जाए और कान में टैग लगाया जाए ताकि ये पता चले कि ये पशु किसका है। इस प्रक्रिया के बाद भी जिनके पशु पकड़े जाते हैं उनपर जुर्माना लगाया जाए।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पलाश तिवारी ने बताया कि गुरुवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने दोनों पक्षों यानि याचिकाकर्ता और नगर निगमों से सुझाव मांगा। याचिकाकर्ता की ओर ये सुझाव दिया गया कि मवेशियों के सिंग में कुछ कलर लगाया जाए जिससे सड़क पर उनके होने का पता चले। गले में रेडियम पट्टा लगाया जाए और कान में टैग लगाया जाए ताकि ये पता चले कि ये पशु किसका है। इस प्रक्रिया के बाद भी जिनके पशु पकड़े जाते हैं उनपर जुर्माना लगाया जाए।
कोर्ट ने दिए निर्देश मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को ये निर्देश दिया है कि वो दो सप्ताह के अंदर एक सूचना प्रकाशित करवाए जिसमें ये पूछा जाए कि गायों को रोड से हटाने के लिए क्या क्या किए जा सकते हैं। इसमें आम जनता अपना सुझाव दे इसके लिए वो अगली तारीख को कोर्ट के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं। इस मैटर के बाद अगली बार से यदि किसी की गाय पकड़ी जाती है तो उसे जुर्माना भरना होगा इसकी सूचना भी दी जाए। इस मामले में चार सप्ताह बाद अगली सुनवाई होगी।