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COVID: सरकार ने कहा – ऑक्सीजन की नहीं है कमी, प्रदेश में कई बेड खाली, हाईकोर्ट ने पूछा फिर हालात इतने भयावह क्यों?

locationबिलासपुरPublished: Apr 24, 2021 11:47:23 am

Submitted by:

Ashish Gupta

कोरोना पर लगी जनहित यचिका पर शुक्रवार को भी सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस पीआर मेनन और जस्टिस पीपी साहू की खंडपीठ ने रेल कोचेस को कोविड केयर सेंटर बनाने संबंधी संभावना के परीक्षण के निर्देश दिए थे।
 

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सरकार ने कहा – ऑक्सीजन की नहीं है कमी, प्रदेश में कई बेड खाली, हाईकोर्ट ने पूछा फिर हालात इतने भयावह क्यों?

बिलासपुर. कोरोना पर लगी जनहित यचिका पर शुक्रवार को भी सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस पीआर मेनन और जस्टिस पीपी साहू की खंडपीठ ने रेल कोचेस को कोविड केयर सेंटर (COVID Care Center) बनाने संबंधी संभावना के परीक्षण के निर्देश दिए थे। इस पर महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने हाईकोर्ट को बताया कि कल रायपुर में रेल अधिकारियों के साथ राज्य सरकार के अधिकारियों की बैठक हुई है। इसमें रेलवे ने कोचेस में स्टाफ, ऑक्सीजन व अन्य सुविधा देने में असमर्थता जताई है। इसके बाद जब हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन, बेड की कमी पर पूछा तो उन्होंने आंकड़े रखते हुए कहा, कई बेड खाली हैं। कहीं ऑक्सीजन की कमी नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा कि फिर हालात इतने खराब क्यों हैं? हाईकोर्ट इस पर सोमवार को फैसला सुनाएगा।

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हमारे पास पर्याप्त बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन: सरकार
महाधिवक्ता ने कहा, राज्य में 7500 ऑक्सीजन बेड हैं, जिनमें 2 हजार से अधिक खाली हैं। इसी तरह से एचडीयू, आईसीयू खाली हैं। वेंटिलेटर भी 242 खाली हैं। इस पर उच्च न्यायालय ने तल्ख होकर कहा, अगल ऐसा है तो दुर्ग, बिलासपुर और रायपुर के हालात इतना भयावह क्यों हैं? इस पर महाधिवक्ता ने कहा, बिलासपुर में 366 ऑक्सीजन बेड में से 18 खाली है, एचडीयू व आईसीयू 116 में से 24 बेड खाली हैं। वहीं दुर्ग में ऑक्सीजन बेड के 1329 बेड में से 45 खाली हैं। आईसीयू और अन्य बेड खाली नही हैं। रायपुर में स्थिति बेहतर है और यहां ऑक्सीजन के 700 एचडीयू के 63 आईसीयू के 28 और 112 वेंटिलेटर आज खाली हैं। हाईकोर्ट ने इन खाली बेड्स को दूसरे जिले के जरूरतमंदों को देने का सिस्टम बनाने पर जोर दिया।

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याचिकाकर्ता बोले, रेलवे के 15 अस्पताल, रेलवे ने कहा सिर्फ 3 हैं
हस्तक्षेप याचिकाकर्ता के तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव व संदीप दुबे ने बताया कि रेलवे एसईसीआर जोन में ही 23 छोटे-बड़े अस्पताल संचालित हैं। इनमें से 15 छत्तीसगढ़ में हैं। यदि रेलवे कोचेस को कोविड सेन्टर नहीं बना सकता तो अपने सभी अस्पतालों को कोविड में बदल दे। रेलवे के अधिवक्ता ने कहा, राज्य में हमारे 15 नहीं सिर्फ 3 अस्पताल हैं और तीनों ही कोविड के रूप में काम कर रहे हैं।

पोर्टल में जानकारी मिले
वेब पोर्टल में बेड की ऑनलाइन जानकारी व ऑक्सीजन युक्त एम्बुलेंस हो। अधिवक्ताओं ने वेब पोर्टल पर जानकारी देने की जरूरत बताई। ऑक्सीजन युक्त एम्बुलेंस से मरीजो को ट्रांसफर किरने पर भी बल दिया। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रखा है। सोमवार को आदेश जारी किया जाएगा।

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सिम्स में विधायक व डीन के नाम वेंटिलेटर आरक्षित होने का मुद्दा उठा
न्यायमित्र प्रफुल्ल भारत ने न्यायालय को बताया कि सिम्स में किस तरह से विधायक और डीन के नाम से वेंटिलेटर सुरक्षित रखे गए हैं। महाधिवक्ता ने इसे आरोप बताते हुए खंडन किया। गुरुवार को सिम्स के ही एक कर्मचारी जितेंद्र दुबे की माता को वेंटिलेटर न मिलने के कारण मौत हो गई थी। इसे लेकर शिकायत और विरोध का सिलसिला जारी है। हालांकि विधायक शैलेश पांडे ने इसका खंडन किया है।

ऐसे चली बहस

हाईकोर्ट: कितने रेलवे अस्पताल हैं?

रेलवे: रायपुर, बिलासपुर और भिलाई में रेलवे के 3 अस्पताल हैं। तीनों कोविड सेंटर के रूप में अपनी क्षमता से अधिक काम कर रहे हैं।
हाईकोर्ट: मरीजों को बेड और ऑक्सीजन क्यों नहीं मिल रही?

महाधिवक्ता: प्रदेश में 2 हजार से ज्यादा ऑक्सीजन बेड, 242 वेंटिलेटर खाली, बिलासपुर में 18 ऑक्सीजन बेड खाली हैं।

हाईकोर्ट: जब बेड खाली तो ऐसी बदहाली क्यों है?
महाधिवक्ता: (स्प्ष्ट जवाब नहीं)

हाईकोर्ट: खाली बेड दूसरे जिले के मरीजों को काम आएं, ऐसी व्यवस्था बनाएं।

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