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कॉफी टॉक विद पत्रिकाः हमारा लक्ष्य, 2025 तक भारत के 3 करोड़ परिवारों में गौपालन करवाना है

locationबिलासपुरPublished: Jun 20, 2018 01:00:36 am

Submitted by:

Barun Shrivastava

केईएन राघवन, प्रशिक्षण प्रमुख, अखिल भारतीय गौसेवा प्रशिक्षण, (आरएसएस), जमशेदपुर

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कॉफी टॉक विद पत्रिकाः हमारा लक्ष्य, 2025 तक भारत के 3 करोड़ परिवारों में गौपालन करवाना है

बिलासपुर.

गाय सिर्फ एक पशु नहीं विश्व की अर्थव्यवस्था से लेकर सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा है। इसे लोग जानेंगे तभी संरक्षण हो सकेगा। दुनिया में हो रहे शोधों के बाद धीरे-धीरे लोग समझ रहे हैं। हमने भी अपने प्रकल्प के जरिए साल 2025 तक देश के 3 करोड़ से अधिक परिवारों में गौपालन करवाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए हम संकल्पित हैं। यह बातें कॉफी टॉक विद पत्रिका में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय गौसेवा प्रशिक्षण प्रकल्प के प्रशिक्षण प्रमुख केईएन राघवन ने कहीं। वे यहां संघ के पदाधिकारी प्रफुल्ल शर्मा के साथ इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे।
गौ सेवा महत्व…

शोध में माना भारतीय गाय सबसे पवित्र

गाय भारत की आत्मा है। कई देशों में हुए शोधों में यह सिद्ध हुआ है कि भारतीय गाय सर्वाधिक पवित्र है। शोध के नतीजों में आया है कि सिर्फ भारतीय गायों का दूध ही पीने योग्य है। वहीं गोबर को मिट्टी को पोषण के लिए जरूरी 20 तत्वों से परिपूर्ण पाया गया है। यानी खेती का केंद्र गाय है। भारतीय गाय के पेट में माइक्रोप्स की मात्रा अधिक है, जो कृषि भूमि से मैच करता है। गाय के माध्यम से सस्ती खेती की जा सकती है। गाय के गोबर, गौ मूत्र सभी उपयोगी हैं।
गौमाता है, इसमें कोई शक नहीं

बच्चा अपनी मां का दूध अधिकतम 2 या 3 साल तक पीता है। इसके बाद पूरी जिंदगी गाय का दूध ही पीता है। कई शोधों में यह बात साबित भी हुई है कि गाय का दूध ही इंसान के लिए सबसे अच्छा है।
गौ-सियासत

जो गाय को जानते नहीं वे उस पर राजनीति करते हैं

गाय के बारे में यदि लोगों को सही जानकारी हो जाए तो इस पर राजनीति करना बंद कर देंगे। इसके महत्व को समझेंगे और इसके संरक्षण पर जोर देंगे। गाय पर राजनीति जागरूकता के अभाव के कारण की जा रही है। यदि वास्तव में लोग गाय को समझेंगे तो इसके महत्व को समझेंगे।
गौ संबंधी योजनाएं समाज के बिना अधूरी

गाय से जुड़ी योजनाओं में कोई कमी नहीं, लेकिन अनुपालन में अंतर है। इसमें किसी भी सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता। मेरा मानना है कि सत्ता से समाज परिवर्तन नहीं होता। व्यक्ति से समाज और समाज से सत्ता का परिवर्तन होता है। गौ संबंधी योजनाएं पूरी तरह से साकार इसलिए नहीं हो पाती, क्योंकि अनुपालन में अंतर है।
जिस राजा के किसान मजबूत नहीं वह भीखा मांगता है

हमारे धर्मशाों में लिखा है, जिस राजा के क्षेत्र में किसान मजबूत नहीं होता वह कालांतर में भिक्षा मांगता है। कितनी ही अन्यत्र तरक्की कर ली जाए, बिना किसान के सामाजिक उत्थान नहीं हो सकता और बिना गाय के खेती नहीं हो सकती। वर्तमान शिक्षा पद्धति ही एेसी है जो व्यक्ति की मानसिकता को बदल दे रही है। पहले माना जाता था कि कृषि सबसे उत्तम कार्य है। लेकिन अब समय के साथ लोग नौकरी को महत्व दे रहे हैं। २५ साल पहले लोग गाय को लेकर ही कृषि करते थे, लेकिन अब तो पढऩे के बाद नौकरी को महत्व दे रहे हैं। ऐसे में खेती पिछड़ रही है। यही वजह गाय के हाल पर भी लागू होती है।

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