जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कालीचरण महाराज की ओर से सीनियर एडवोकेट ने इस तरह के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने किताबों में लिखी हुई बातों को अपने भाषण में उल्लेख किया था। किताबों में लिखी हुई बातों पर सार्वजनिक रुप से बयान देना कोई अपराध नहीं है। कालीचरण बीते 90 दिनों से जेल में है, और चार्जशीट भी पेश हो चुकी है, ऐसे में जमानत उनका अधिकार है।
वहीं शासन के वकील जमानत देने का विरोध करते हुए कहा कि कालीचरण को अपनी हरकतों पर कोई पछतावा नहीं है.। ऐसे में अगर उसे जमानत दी जाती है, तो जेल से बाहर आकर वह फिर से सांप्रदायिकता फैला सकता है।दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.। बता दें कि संत कालीचरण ने रायपुर के धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी, जिस पर रायपुर पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद मध्यप्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार किया था। रायपुर न्यायालय से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। कालीचरण महाराज पिछले तीन माह से जेल में है।
वहीं शासन के वकील जमानत देने का विरोध करते हुए कहा कि कालीचरण को अपनी हरकतों पर कोई पछतावा नहीं है.। ऐसे में अगर उसे जमानत दी जाती है, तो जेल से बाहर आकर वह फिर से सांप्रदायिकता फैला सकता है।दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.। बता दें कि संत कालीचरण ने रायपुर के धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी, जिस पर रायपुर पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद मध्यप्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार किया था। रायपुर न्यायालय से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। कालीचरण महाराज पिछले तीन माह से जेल में है।