पत्रकारिता के क्षेत्र में पंडित मदन मोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेयी के विचार और उनका आचरण पत्रकारों के लिए आदर्श हैं। इन दोनों राष्ट्रनायकों ने हमें यह सिखाया कि पत्रकारिता का पहला कर्तव्य समाज को जागृत करना है। यह विचार पद्मश्री वरिष्ठ पत्रकार एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने गुरुवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के कार्यक्रम ‘योद्धा पत्रकार : पुण्य स्मरण’ में रखे। कार्यक्रम में प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य अशोक टंडन, आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, अपर महानिदेशक के. सतीश नंबूदिरीपाड एवं अपर महानिदेशक (प्रशिक्षण) ममता वर्मा मौजूद थीं।
मालवीय ने सत्यमेव जयते को बनाया लोकप्रिय राय ने कहा कि मालवीय महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद् के साथ एक बड़े समाज सुधारक थे। देश से जातियों की बेड़ियां तोड़ने में उनकी भूमिका अतुल्यों है। मालवीय ने ही ‘सत्यमेव जयते’ को लोकप्रिय बनाया, जो बाद में चलकर राष्ट्रीय आदर्श वाक्य बना और इसे राष्ट्रीय प्रतीक के नीच अंकित किया गया।
प्रधानमंत्री ही नहीं पक्के पत्रकार भी थे अटल जी पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी को स्मरण करते हुए अशोक टंडन ने कहा, वे राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। अटल जी ने कठिन परिस्थितियों में पत्रकारिता की शुरुआत की और वह अखबार में खबर लिखने, संपादन करने और प्रिंटिंग के साथ समाचार पत्र वितरण का कार्य भी स्वयं करते थे। टंडन ने कहा, वाजपेयी राजनेता बनने से पहले एक पत्रकार थे। उनके जीवन का लक्ष्य पत्रकारिता के माध्यम से पैसे कमाना नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण था। कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रमोद कुमार ने किया। इससे पहले आईआईएमसी के समस्त कर्मचारियों, प्राध्यापकों एवं अधिकारियों द्वारा दोनों राष्ट्रनायकों को पुष्पांजलि अर्पित की गई एवं पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।