मोदी के पूर्व मंत्री को नहीं पता दाल के दाम, और महोदय का कहना बिलकुल महंगाई नहीं
पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय (former Central Minister Vishnudev Say) को नहीं पता दाल का भाव और इनका कहना है की महंगाई नहीं है न ही बढ़ी है (controversial statement on budget 2019)

बिलासपुर. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Dr Shyama Prasad Mukherjee birthday) के जन्मदिवस पर भाजपा के सदस्यता अभियान (BJP Membership campaign) का शुभारंभ करने पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री (Modi Cabinet Minister) विष्णुदेव साय (Central Minister controversial statement) व प्रदेश महामंत्री गिरधर गुप्ता ने भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा की। महंगाई के सवाल पर घिरे पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कह दिया कि वे दाल तो रोज खाते हैं पर कभी खरीदा नहीं इसलिए भाव की जानकारी नहीं है।
वहीं विधानसभा चुनाव में पार्टी के पराजय के सवाल पर प्रदेश महामंत्री ने कहा कि कार्यकर्ता नाराज नहीं परंतु उत्साह में भी नहीं थे। प्रदेश महामंत्री ने कहा हर तीन साल में भाजपा द्वारा सदस्यता अभियान किया जाता है, आज डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्मदिन पर इस अभियान का शुभारंभ किया जा रहा है इसे संगठन महापर्व का नाम दिया गया है और 20 फीसदी अधिक सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है। ऑनलाइन नंबर डॉयल करने पर मोबाइल में सदस्यता के रूप में पंजीकृत होने का मैसेज आ जाएगा इसके बाद फार्म भी भराए जाएंगे।
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विधानसभा चुनाव में घोखा खाने के कारण इस बार मैन्युअल फार्म भराए जा रहे क्या पूछने पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है सत्यापन में दिक्कत आती है पिछली बार 20 से 30 फीसदी सदस्यों का पता ही नहीं चला इसलिए इस बार सदस्यता और सत्यापन साथ-साथ कर रहे। ताकि बाद में सत्यापन न करना पड़े। जहां तक हारजीत का सवाल है तो राजनीति में यह इतिहास है कि 150 दिन के अंतराल में भाजपा को कांग्रेस से 15 लाख अधिक वोट मिले हैं। लोगों को लगा कि 15 साल हो गए परिवर्तन करना चाहिए इसलिए यह स्थिति बनी। कार्यकर्ता नाराज नहीं पर उत्साहित भी नहीं थे।
महंगाई बढ़ी नहीं है कंट्रोल में है
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने महंगाई के सवाल को सिरे से नकारते हुए महंगाई बिलकुल नहीं बढ़ी कंट्रोल में है,जहां तक डीजल पेट्रोल के दाम बढऩे की बात है तो यह अंतराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर है, तो क्या कांग्रेस शासन कॉल में नहीं था पूछने पर उन्होंने कहा कि विरोध करना विपक्ष का अधिकार है। दाल तो अंतराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर नहीं है फिर कैसे 100 रुपए पहुंच गया पूछने पर उन्होंने कहा कि वे दाल तो रोज खाते हैं लेकिन खरीदने नहीं जाते इसलिए उन्हें दाल का भाव पता नहीं है।
वहीं आदिवासी मुख्यमंत्री के सवाल को वे राष्ट्रीय नेतृत्व का मामला बताकर टाल गए।
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