एक तरफ शव को मुक्तिधाम तक लेजाने के लिए खुद 2500 रुपए खर्च करने पड़े तो वही सिम्स के मरच्यूरी से वाहन में शव रखने के लिए कोई कर्मचारी भी नही था ऐसे में मृतक के दामाद और उसका नाती पीपीई किट स्वम पहन कर मरच्यूरी के अंदर से शव को निकाल कर उसे निजी एम्बुलेंस में में रखा। इस बीच परिजन के हाथों का ग्लब्स भी फट गया।
टार्जन आदिले, नोडल अधिकारी कोरोना शव प्रबंधन।