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जो हुआ हम सब के लिए शहीद उसकी किसे फिकर, शहादत के बाद अब किराना दुकान से हो रहा है परिवार का भरण-पोषण

locationबिलासपुरPublished: Aug 11, 2019 01:17:18 pm

Submitted by:

Saurabh Tiwari

INDEPENDENCE DAY: शहीद विवेक के छोटे भाई को नहीं मिली अनुकंपा नियुक्ति, किराना दुकान से हो रहा है भरण-पोषण

family of Indian martyr suffering

जो हुआ हम सब के लिए शहीद उसकी किसे फिकर, शहादत के बाद अब किराना दुकान से हो रहा है परिवार का भरण-पोषण

बिलासपुर. दंतेवाड़ा में 2014 में नक्सली हमले में अपनी जान गंवाने वाले का परिवार किराना दुकान चलाकर अपना जीवनयापन कर रहा है। शहीद का छोटा भाई पिछले 5 साल से अनुकंपा नौकरी के लिए सरकारी बाबुओं और नेताओं का चक्कर लगा रहा है, लेकिन सिवाए झूठे आश्वासन के उन्हें कुछ भी नहीं मिला। पांच वर्ष पूर्व नक्सली हमले में अपनी जान गंवाने वाले शहीद विवेक शुक्ला की पत्नि रीमा शुक्ला ने बताया कि सन् 2014 में वे दंतेवाड़ा जिला के कुआंकोड़ा में थाना प्रभारी के रूप में तैनात थे।
28 फरवरी 2014 को फोन के माध्यम से जानकारी मिली की नक्सली हमले में विवेक शुक्ला शहीद हो गए। उस एक फोन से मेरी सारी दुनिया ही उजड़ गई। दो छोटे-छोटे बच्चे और पूरा परिवार कैसे संभाल पाऊंगी। यह सोचकर काफी परेशान हो गई। वहीं बेटे के अचानक यूं चले जाने से माता-पिता और परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल था। उस समय मेरे बड़े बेटे की उम्र पौने तीन वर्ष और छोटा बेटा मात्र दो माह का था। इस दुख की घड़ी में मेरे सास-ससुर ने मेरा बहुत ख्याल रखा। हमेशा मुझे अपनी बेटी की तरह संभालकर रखा।
आर्मी में जाने का है सपना: शहीद विवेक शुक्ला के छोटे पुत्र सार्थक शुक्ला अभी केजी 2 में पढ़ाई कर रहे है। अपने पिता की तरह उसमें भी देश सेवा की भावना है। उसके ड्रीम के बारे में जब पूछा गया तो आत्मविश्वास के साथ कहा कि मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहता हंू।
मां व पिता की भूमिका निभा रही है रीमा
शहीद विवेक शुक्ला की पत्नि रीमा शुक्ला अपने दोनों बच्चों को मां और बाप दोनों का प्यार दे रही हैं। उनकी हर कमी को पूरा करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहती है। उनहोंने बताया कि मेरा बड़ा बेटा अक्सर मुझसे पूछता था कि पापा क्यों नहीं आ रहे हैं, कहां गए हैं। मैंने उसे सांत्वाना देते हुए बताया कि वे आसमान के तारे बन गए हैं और तुम्हारी हर गलती को देखते हैं। दोनों बेटे पढ़ाई में काफी होशियार हैं। जिसमें बड़ा बेटा श्रीजन शुक्ला क्लास 2 व सार्थक शुक्ला केजी 2 में अध्ययनरत हैं।
5 साल से नौकरी के लिए कर रहे हैं प्रयास
शहीद विवेक शुक्ला के छोटे भाई वैभव शुक्ला ने बताया कि भाई के गुजर जाने के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए कई बार मैं नेता, मंत्री और बाबुओं से मिल चुका हूं, लेकिन 5 साल गुजर जाने के बाद भी मुझे नौकरी नहीं मिल रही है। उन्होंने बताया कि मेरा कुछ मामला कोर्ट में चल रहा था, जो पूरी तरह समाप्त हो गया है। उसके बावजूद भी मुझे आज तक नौकरी नहीं मिली। मालूम हो कि कोई जवान जब शहीद होता हैं तो उनके परिजनों को नौकरी देने का प्रावधान हैं।
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