लोक अदालत में पक्षकारों की भौतिक तथा वर्चुअल दोनों ही माध्यमों से प्रकरण निराकृत किए गए। इसके अतिरिक्त स्पेशल सिटिंग के माध्यम से भी प्रकरणों को निराकृत किया गया। इस दौरान हाईकोर्ट में 3 खण्डपीठों के द्वारा कुल 45 प्रकरणों का निराकरण करते हुए कुल 48 लाख 70000 रुपए के अवार्ड पारित किए गए।आज सम्पन्न लोक अदालत में 350 से ज्यादा खण्डपीठों का गठन किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में दिवानी, फौजदारी मोटर दुर्घटना, राजस्व, चेक बाउंस, पारिवारिक विवाद जैसे विषयों के प्रकरणों का निराकरण राजीनामा के माध्यम से किया गया।
जजों ने निरीक्षण कर पक्षकारों से बात की लोक अदालत का निरीक्षण जस्टिस गौतम भादुड़ी कार्यपालक अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण तथा जस्टिस पी. सैम कोसी पोर्टफोलियो जज, जिला न्यायालय बिलासपुर द्वारा किया गया। न्यायाधीशों ने सभी खंडपीठों में उपस्थित पक्षकारों से चर्चा की। उन्हें समझाइश दी तथा खंडपीठ के न्यायिक अधिकारियों, सदस्यों से भी चर्चा की।
व्हील चेयर पर पहुंची महिला, 10 लाख का मिला मुआवजा, भाइयों का विवाद भी सुलझा अशोक लाल अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण बिलासपुर के न्यायालय में दुर्घटना के प्रकरण में आवेदिका फूलबाई को 10 लाख 20 हजार रुपए का अवार्ड दिया गया। आवेदिका के पति भोपाल दुबे की दुर्घटना में 16 दिसम्बर 2020 को मृत्यु हो गई थी। मृतक की पत्नी फूलबाई लकवाग्रस्त तथा चलने-फिरने में असमर्थ होने के कारण व्हीलचेयर में आज न्यायालय में उपस्थित हुईं। वहीं एक अन्य प्रकरण स्पेसिक परफार्मेंस का अपर जिला न्यायाधीश स्मिता रत्नावत के न्यायालय में प्रस्तुत हुआ। लगभग 5 वर्षों से दो भाईयों राहुल तथा रोहित के बीच लंबित इस मामले में 18 लाख के विवाद पर समझौता हुआ तथा विक्रयपत्र निष्पादन का अवार्ड पारित किया गया। न्यायालय द्वारा लगभग एक लाख दस हजार रुपए से अधिक के न्यायशुल्क के वापसी का अवार्ड पारित किया गया।
भाई बहन का झगड़ा सुलझा, पति ने पत्नी को बुके देकर विवाद खत्म किया लोक अदालत की एक अन्य खण्डपीठ में भाई एवं बहन के बीच लंबे समय से चल रहा सम्पत्ति विवाद समझाईश के द्वारा निराकृत किया गया। पति व पत्नी के बीच में मारपीट का एक फौजदारी मामला भी दोनों पक्षों की सहमति से निराकृत कराया गया। हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की उपस्थिति में पति ने पत्नी को बुके देकर प्रकरण में राजीनामा किया। इसी प्रकार कई प्रकरणों में पक्षकारों के मध्य सुलह होने पर न्यायाधीश महोदयों द्वारा पक्षकारों को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया।
जजों ने लोक अदालत के बताया त्वरित निराकरण के लिए उपयोगी इस अवसर पर न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी ने कहा कि न्यायालयों में प्रकरण काफी लंबे तक साल दर साल चलते हैं और पक्षकार परेशान होते रहते हैं। समय एवं धन का भी नुकसान होता है। जबकि लोक अदालत में प्रकरणों का त्वरित निराकरण होता है। पक्षकारों के मध्य संबंध मधुर होते हैं, धन की बचत होती है। न्यायमूर्ति पी. सैम कोसी ने कहा कि जब एक प्रकरण निपटता है तो दो लोग लाभांवित होते हैं। लोक अदालत में सिविल प्रकरणों में निराकृत होने पर न्यायशुल्क वापसी की भी शासन द्वारा व्यवस्था की गई है।
जनोपयोगी सेवा के 11 प्रकरण भी सुलझे आज की स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएं ) बिलासपुर में भी 11 प्रकरणों का निराकरण हुआ। बनीता प्रधान एवं रॉयल गर्ल्स हॉस्टल गांधी चौक के मध्य सेवा की कमी का विवाद चल रहा था। जिसे हॉस्टल प्रबंधन द्वारा पांच हजार रुपए वापस कर प्रकरण का निराकरण कराया। तोषण कुमार अग्रवाल व नगर निगम बिलासपुर के मध्य साफ सफाई का विवाद था। आवेदक के आवेदन पर नगरनिगम द्वारा साफ सफाई कराई गई। इसी प्रकार हरीश चेलकर के विरूद्ध भी नगरनिगम के द्वारा पानी सप्लाई का मामला लंबित था, जिस पर नगरनिगम द्वारा पानी की सप्लाई की व्यवस्था की गई। इसी प्रकार संगीता जेम्स तथा ईफको टोकियों इंश्योरेंस कंपनी के मध्य एक्टिवा चोरी होने के कारण बीमा क्लेम का विवाद था। लोक अदालत ने 23 हजार रुपए 12 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया। अन्य प्रकरण में डॉक्टर राहुल वर्मा तथा हासिम एच, हामीद के मध्य आवास और भू-सम्पदा से संबंधित मामले में समझौता हुआ।