हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ पति द्वारा बनाया गया यौन संबंध या कोई भी यौन कृत्य, बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता। इसके पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट में भी मैरिटल रेप के संबंध में एक मामला आया था। इस दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि मेरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
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इस केस में आरोपी की पत्नी कानूनी रूप से विवाहित है। इसलिए पति द्वारा उसके साथ यौन संबंध को बलात्कार का अपराध नहीं माना जाएगा। भले ही वह बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध हो। कोर्ट ने इस मामले में व्यक्ति को बलात्कार के आरोपों से मुक्त कर दिया। लेकिन उसके खिलाफ अब आईपीसी के तहत अप्राकृतिक सम्बंध और दहेज प्रताडऩा के आरोपों में केस चलेगा।
यह है मामला
रायपुर के रहने वाले व्यक्ति (37) की शादी बेमेतरा की युवती से 2017 में हुई थी। कुछ दिन बाद दोनों के बीच अनबन शुरू हो गई। पति ने दहेज की मांग करते हुए उसके साथ मारपीट और उसे गाली देना शुरू कर दिया। इसके साथ ही पत्नी की मर्जी के खिलाफ उसके साथ जबरन संबंध भी बनाए। प्रताडऩा से तंग आकर पत्नी ससुराल छोड़ अपने मायके बेमेतरा चली गई, जहां उसने अपने पति के खिलाफ अप्राकृतिक संबंध बनाने सहित, दहेज प्रताडऩा और बलात्कार के तहत मामला दर्ज करवा दिया था।
बेमेतरा जिला न्यायालय ने पति को ठहराया था दोषी
बेमेतरा जिला न्यायालय ने पति को तीनों आरोपों में दोषी माना था। हालांकि, बेमेतरा कोर्ट ने इस पर अभी सजा नहीं सुनाई है। पति ने निचली अदालत के इस फैसले को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।