script33 दिनों में चार बार किया गया बंद का आह्वान, 5वां बंद 28 को | Four calls made to stop four times in 33 days, 5th to 28th | Patrika News

33 दिनों में चार बार किया गया बंद का आह्वान, 5वां बंद 28 को

locationबिलासपुरPublished: Sep 17, 2018 11:56:35 am

Submitted by:

Amil Shrivas

बार-बार भारत बंद के आह्वान से व्यापारियों में नाराजगी

Mungeli

33 दिनों में चार बार किया गया बंद का आह्वान, 5वां बंद 28 को

मुंगेली. विगत 33 दिनों में 4 बार विभिन्न कारणों से भारत बंद के आह्वान के कारण मुंगेली नगर भी बंद रहा। मुंगेली पूरी तरह उद्योग विहीन व कृषि पर आधारित क्षेत्र है। बाजार में शिथिलता के कारण व्यवसाय में लगातार गिरावट से मुंगेली के व्यापारी वैसे ही परेशान हैं। ऊपर से आए दिन बंद के कारण नगर के व्यापारियों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।
विगत 9 अगस्त को दलित समुदाय ने भारत बंद करवाया। फिर 17 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री अटल के निधन के कारण बंद के बाद 6 सितम्बर को एससी-एसटी एक्ट के समर्थन में और 10 सितंम्बर को एससी-एसटी एक्ट के विरोध में बंद रहा। वहीं अब व्यापारियों के बड़े संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने वालमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदे और खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के विरोध में कैट ने आगामी 28 सितंबर को भारत व्यापार बंद का आह्वान किया है। कैट ने एक बयान में कहा कि देश के सभी छोटे एवं बड़े बाजार 28 सितंबर को पूर्ण रूप से बंद रहेंगे और कोई कारोबार नहीं होगा। व्यापारी संगठन ने बताया कि देश भर के करीब सात करोड़ छोटे व्यापारी इस बंद में शामिल होंगे।
अब ऐसा संभवत: पहली बार होगा जब महज 50 दिनों के अंतराल में शहर पांचवी बार बंद होगा। बार-बार हो रहे इस बंद के क्या दूरगामी नफा-नुक्सान होंगे, यह तो पता नहीं मगर बार-बार हो रहे बंद से नगर के व्यापारी समुदाय बेहद नाखुश हैं।
पिछले कुछ बंद के दौरान देखा गया कि आम आदमी उन्हीं विरोध प्रदर्शनों और बंद आह्वानों के समर्थन में खड़ा हुआ। जहां वह इसके मकसद को लेकर संतुष्ट था। आज का आम आदमी जनहित की भावना और राजनीतिक दलों के स्वहित यानि लोभ से प्रेरित बंद और विरोध प्रदर्शनों का अंतर समझने लगा है। यही कारण है कि स्वस्फूर्त बंद अब कम दिखाई देते हैं। अधिकांश मामलों में देखा यह गया कि गुंडागर्दी और तोडफ़ोड़ से बचने के लिए लोग घरों से बाहर नहीं निकलते। लोग कामधंधे से छुट्टी ले लेते हैं। लोकतंत्र में जनहित के मुद्दों पर राजनीतिक विरोध और बंद जैसे आह्वान सरकार को चेताये रखने के सशक्त साधन माने गए हैं। कानून के दायरे में रहते हुए और आमजन को परेशान किए बगैर किया गया विरोध सही होता है।
विरोध प्रदर्शन के लिए निश्चित जगह हो: कपड़ा व्यवसायी दीनानाथ केशरवानी बार-बार बंद की प्रवृत्ति को व्यापार के लिए नुकसादेह मानते हैं। उनका कहना है कि देश के हर शहर हर पंचायत में एक ऐसी निश्चित जगह होनी चाहिए, जहां पर किसी भी बात के विरोधी या समर्थक एकत्र होकर अपनी बात रख सकें और वहीं पर राष्ट्रपति, प्रधानमं़त्री या मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन अधिकारियों को दे सकें। उनका कहना है कि आए कराए जा रहे बंद बिलकुल बंद होना चाहिए।
बंद से बढ़ती है महंगाई: बर्तन व्यापारी शरद ताम्रकार का मानना है कि बंद से मंहगाई ही बढ़ती है। बंद आम आदमी द्वारा संचालित व्यवसायों को नुकसान ही पहुंचाता है। इसके बजाए अगर शासकीय प्रतिष्ठान बंद हों तो शासन को फर्क पड़ेगा और वह विरोध के स्वर को अनसुना नहीं कर सकेगी। शासन की किसी भी नीति-रीति के विरोध के लिए किया जाने वाला व्यापार बंद अंतत: बाजार को अस्थिर करता है और मंहगाई में योगदान देने वाला ही सिद्ध होता है।
बंद किसी भी समस्या का हल नहीं: मुंगेली जिला चेम्बर के अध्यक्ष प्रेम आर्य बंद को अनावश्यक मानते हैं। उनका स्पष्ट मानना है कि बंद से किसी समस्या का समाधान नहीं होता। चेम्बर के द्वारा बंद को समर्थन देने पर उनका कहना है कि ऐसा समर्थन दुकानों में तोड़-फोड़ न हो इस मजबूरी में दिया जाता है। प्रशासन अगर सुरक्षा दे तो व्यापारी वर्ग कभी भी बंद को समर्थन न दें।
बंद से व्यापारियों को होता है नुकसान : सराफा व्यापारी प्रकाश चंदेल ने राष्ट्रीय मुद्दों पर अक्सर होने वाले बंद का गैर जरूरी बताया। इनका मानना है कि ऐसे बंद से नगर को कोई फायदा नहीं होता। केवल दुकानदारों को आर्थिक हानि ही होती है। सराफा व्यापारियों ने विगत साल 60 दिनों तक हड़ताल रखी मगर कोई सुनवाई नहीं हुई।
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