प्रहलाद पीपलवा के 67 वर्षीय बड़े बेटे श्याम सुंदर पीपलवा ने बताया कि आजादी मिलने के बाद पूरे परिवार के साथ बिलासपुर में आकर बस गए। सदर बाजार स्थित किशन चौक के पास छोटा से होटल खोलकर उसी से परिवार का भरण-पोषण करते थे। कुछ दिनों बाद वह भी दुकान बंद हो गई। गोल बाजार स्थित मालिकराम मेलाराम किराना दुकान में मुनीम बनकर जीवन यापन करते थे। बुजुर्ग हो जाने पर उन्होंने काम करना बंद कर दिया। थोड़ी बहुत जो पेंशन मिलती थी उसी से परिवार का भरण-पोषण हो रहा था।
प्रहलाद पीपलवा की 86 वर्षीय पत्नी कावेरी बाई पीपलवा ने बताया कि सरकार से आज तक कोई मदद नहीं मिला है। उनके जीवित रहते समय 15 अगस्त और 26 जनवरी को सम्मान देने बुलाया जाता था, लेकिन अब वहां भी हमारी कोई इज्जत नहीं हैं। अपने परिवार के साथ आज भी टूटे-फूटे घर में जीवनयापन करने को मजबूर हैं। मैंने कई बार कलेक्टर, नेता और अधिकारियों को शिकायत की है। लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। सरकार अस्पताल में भी कोई सुविधा नहीं दी जाती है। इतनी उम्र होने के बाद भी मुझे अन्य लोगों की तरह लाइन लगाकर डॉक्टर का इंतजार करना पड़ता है।
प्रहलाद पीपलवा के छोटे बेटे संतोष पीपलवा ने बताया कि डॉ रमन सिंह ने राजीव प्लाजा में एक दुकान देने का निर्देश दिया तथा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी निर्देशित किया था। इसके बावजूद आज तक उन्हें दुकान आवंटित नहीं किया गया है। इसके अलावा यदुनंदन नगर में जमीन भी दिलाने का वादा किया गया था। इतने दिन गुजर जाने के बाद भी जमीन नहीं मिल पाई हैं। इसके लिए कई बार प्रशासनिक अधिकारी व नेताओं से मिल चुके हैं।