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Corona: शवों के लापरवाही से अंतिम संस्कार मामले में हाईकोर्ट की सख्त गाइडलाइन, राज्य इसका पालन करे

locationबिलासपुरPublished: Jun 14, 2021 03:25:48 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

Funeral of COVID dead body: छत्तीसगढ़ में कोविड मरीजों के शवों के अंतिम संस्कार में असम्मान की खबरों के बीच हाईकोर्ट ने इसपर महत्त्वपूर्ण गाइडलाइन दी है।

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बिलासपुर/राजीव द्विवेदी. छत्तीसगढ़ में कोविड मरीजों के शवों के अंतिम संस्कार (Funeral of Corona dead body) में असम्मान की खबरों के बीच हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने इसपर महत्त्वपूर्ण गाइडलाइन दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि शवों का दफन या दाह संस्कार सभ्य और सम्मानजनक तरीके से किया जाए, क्योंकि सम्मानपूर्वक और शालीनता से दफनाने या दाह संस्कार करने का अधिकार जीवन के अधिकार में शामिल माना गया है।

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अधिवक्ता निमेश शुक्ला ने हाईकोर्ट में वकील देवर्षि ठाकुर के माध्यम से एक हस्तक्षेप आवेदन देकर इस ओर ध्यान आकर्षित किया। शवों के दफनाने के दौरान जेसीबी से उठाकर डालने या दाह संस्कार के दौरान डीजल या मिट्टीतेल तक डालकर मुखाग्नि देने या शवों को असम्मानजनक तरीके से ले जाने का उन्होंने उल्लेख किया।
अधिवक्ता शुक्ला ने कोरोना से पिता को खोया है। कोरोना प्रोटोकॉल का दौरान पिता के अंतिम संस्कार के दौरान उन्होंने इस सरकारी लापरवाही को महसूस किया और फिर कोर्ट के संज्ञान में इसे लाया। अधिवक्ताओं को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि सम्मानपूर्वक और शालीनता से दफनाने या दाह संस्कार करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार में शामिल माना गया है।

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यह है अनुच्छेद 21
अनुच्छेद 21 के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य की सावधानी का अधिकार वैसा ही है, जैसे जीवन का अधिकार होता है। यह अनुच्छेद भारत के प्रत्येक नागरिक के जीवन जीने और उसकी निजी स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है। यदि कोई अन्य व्यक्ति या संस्था किसी व्यक्ति के इस अधिकार का उल्लंघन करने का प्रयास करती है, तो पीड़ित व्यक्ति को सीधे उच्चतम न्यायलय तक जाने का अधिकार होता है। अन्य शब्दों में किसी भी प्रकार का क्रूर, अमाननीय, उत्पीडऩ या अपमानजनक व्यवहार चाहे वह किसी भी प्रकार से हो, तो यह इस अनुच्छेद 21 का अतिक्रमण है। बता दें कि जापान की व्यवस्था से यह अनुच्छेद लिया गया है।

ये हैं जीवन के अधिकार
– चिकित्सा का अधिकार
– शिक्षा का अधिकार
-पर्यावरण संरक्षण का अधिकार
– त्वरित विचारण का अधिकार
– कामकाजी महिलाओं का यौन शोषण से संरक्षण का अधिकार
– निशुल्क विधिक सहायता का अधिकार
– मृतकों का शिष्टता एवं शालीनता से दाह संस्कार का अधिकार
– भिखारियों के पुनर्वास का अधिकार
– धूम्रपान से संरक्षण का अधिकार
– विद्यार्थियों का रैगिंग से संरक्षण का अधिकार
– सौंदर्य प्रतियोगिताओं में नारी गरिमा को बनाए रखने का अधिकार
– बिजली एवं पानी का अधिकार
– हथकड़ी, बेड़ियों एवं एकांतवास से संरक्षण का अधिकार
– प्रदूषण रहित जल एवं हवा का उपयोग करने का अधिकार

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