मामला चार साल पुराना 2015-16 का
वैसे ये मामला चार साल पुराना सत्र 2015 -16 का है। बीकॉम फायनल ईयर का रिजल्ट जारी होने पर छात्रा ताई शगुफ्ता टॅाप पर आई थी। लेकिन दूसरे स्थान पर रही छात्रा मोना पेशवानी द्वारा कम से कम नंबर मिलने का हवाला देते हुए रि-वैल्युएशन की मांग की गई। इसमें उसके 33 नंबर बढ़ गए और वो पहले स्थान पर आ गई। अब इस लेकर विवि की उलझन बढ़ गई कि मेरिट लिस्ट में किसे पहले नंबर पर रखें। मामला उलझने पर लीगल ओपिनियन लेकर सुलझाने का प्रयास किया गया। अब दोनों छात्राएं संयुक्त रूप से पहले नंबर पर हैं।
वैसे ये मामला चार साल पुराना सत्र 2015 -16 का है। बीकॉम फायनल ईयर का रिजल्ट जारी होने पर छात्रा ताई शगुफ्ता टॅाप पर आई थी। लेकिन दूसरे स्थान पर रही छात्रा मोना पेशवानी द्वारा कम से कम नंबर मिलने का हवाला देते हुए रि-वैल्युएशन की मांग की गई। इसमें उसके 33 नंबर बढ़ गए और वो पहले स्थान पर आ गई। अब इस लेकर विवि की उलझन बढ़ गई कि मेरिट लिस्ट में किसे पहले नंबर पर रखें। मामला उलझने पर लीगल ओपिनियन लेकर सुलझाने का प्रयास किया गया। अब दोनों छात्राएं संयुक्त रूप से पहले नंबर पर हैं।