पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि कोरोनाकाल में जान गंवाने वाले वकीलों को मुआवजा देने के लिए सरकार ने अब तक क्या किया है। कितने लोगों को मुआवजा मिला, कितनों को नहीं। शासन सहायता राशि कब तक जारी करेगा। राज्य शासन अब तक यह जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाया है। शुक्रवार को बार काउंसिल ने मदद के कुछ आंकड़े बताए पर कोर्ट ने सम्पूर्ण जानकारी शासन व अन्य पक्षकारों को देने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट कोरोना की स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेकर पिछले साल से सुनवाई कर रहा है। वकीलों को मुआवजा देने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। राज्य सरकार और स्टेट बार काउंसिल की तरफ से डेढ़-डेढ़ लाख रुपए मुआवजा देने का प्रावधान है। लेकिन 100 से अधिक जान गंवाने वाले वकीलों में से कुछ को ही मुआवजा मिला है।
सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि राज्य की ओर से मदद नहीं दी गई है। कोर्ट ने राज्य सरकार को शपथपत्र के साथ यह बताने को कि वे कब तक अपने हिस्से का पैसा वकीलों के लिए जारी करेंगे। कैदियों के पैरोल आवेदन पर एक साल का प्रतिबंध लगाने के मामले में प्रस्तुत जनहित याचिका पर भी कोर्ट ने 9 सितम्बर को ही सुनवाई तय की है। शासन व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के जवाब को न्यायमित्र प्रफुल्ल भारत ने अपर्याप्त बताया था। डिवीजन बेंच ने राज्य व सालसा को विस्तृत जवाब देने के लिए कहा है।