script

यहाँ 30 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला लेकिन जिसने मांगा था न्याय वह अब दुनिया में ही नहीं

locationबिलासपुरPublished: Aug 18, 2019 06:44:31 pm

Submitted by:

Saurabh Tiwari

हाईकोर्ट: एमपी के समय का मामला, कोर्ट ने कहा सभी देयकों व लाभ का 90 दिनों में करो भुगतान

high court decision on case after 30 years

यहाँ 30 साल बाद फैसला लेकिन जिसने मांगा था न्याय वह अब दुनिया में ही नहीं

बिलासपुर. हाईकोर्ट से सेल टैक्स विभाग के क्लर्क को 30 वर्ष बाद न्याय मिला है। लेकिन कोर्ट का आदेश सुनने के लिए फरियादी इस दुनिया में नहीं, उसकी 7 वर्ष पूर्व मौत हो चुकी है। जस्टिस पीसैम कोशी की एकलपीठ ने सेल टैक्स विभाग से 30 वर्ष पूर्व बर्खास्त लिपिक के परिजनों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बर्खास्तगी को नियम विरुद्ध बताया है।
एकलपीठ ने सेल टैक्स विभाग को निदेर्शित किया है कि पीडि़त को सेवा काल में मिलने वाले समस्त लाभ व देयकों का भुगतान 90 दिनों की समयसीमा में की जाए। साथ ही पेंशन का निर्धारण नए सिरे से कर भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
तत्कालीन मध्यप्रदेश सेल टेक्स विभाग में कार्यरत लोअर डिविजन क्लर्क सीएस ठाकुर को टोल नाका में अनाधिकार प्रवेश व वाहनों की गलत तरीके से जांच करने जुर्माना लगाने व पास किए जाने पर विभाग ने 30 मई 1986 सस्पेंड कर दिया था। उक्त सस्पेंशन के खिलाफ ठाकुर द्वारा 1986 व 1988 में विभाग में दोबार अपील की गई। लेकिन अपील को नजरअंजदाज कर विभाग ने एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए 4 फरवरी 1989 को सेवा से बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया। बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में अपील किया, वहां से अपील खारिज होने के बाद 2005 में हाईकोर्ट में अपील की गई। लेकिन उक्त अपील पर निर्णय नहीं हुआ। इसी बीच 22 मई 2005 को सीएस ठाकुर का निधन हो गया। उनके निधन के बाद रायपुर के कुशलपुर पुरानी बस्ती में निवासरत पत्नी निर्मला राजपूत उम्र 55 वर्ष, पुत्र अभिषेक राजपूत 26 वर्ष व पुत्री प्रिया ठाकुर 25 वर्ष ने अधिवक्ता अनिमेष मिश्रा व महेश मिश्रा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई। याचिका में अपने पति के बर्खास्तगी आदेश को चुनौती दी गई। मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं ने विभागीय जांच पर कई सवाल खड़े किए तथा लगाए गए आरोपों से इंकार करते हुए प्रकरण में न्याय किए जाने की मांग की गई।
जस्टिस पीसैम कोशी की एकलपीठ ने तथ्यों व दस्तावेजों के अध्ययन के बाद विभागीय जांच को नियम विरुद्ध पाया। एकलपीठ ने अपने आदेश में सेल टैकस विभाग को याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी से लेकर सेवाकाल तक के समय में मिलने वाले सभी लाभ का भुगतान 90 दिनों में करने का निर्देश दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता के पेशन का निर्धारण नए सिरे से कर परिजनों को भुगतान करने को कहा है।

ट्रेंडिंग वीडियो