रायपुर निवासी राजेश्वर प्रसाद कौशल के तलाक का आवेदन 11 अप्रैल 2019 को प्रथम अतिरिक्त न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, रायपुर ने खारिज कर दिया था। इस आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील दायर की गई। इसमें पति ने बताया कि उसका 17 अप्रैल 2009 को विवाह हुआ था। उनकी एक बेटी है। शादी के अगले दिन से पत्नी अपना वैवाहिक घर छोडऩे पर जोर देने लगी और मायके चली गई।
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पति ने पत्नी को लगातार फोन किए तो 15-20 दिन वह वापस लौटी। लेकिन उसने खुद को बेडरूम में बन्द कर लिया। काफी कहने पर भी दरवाजा नहीं खोला तो पुलिस को बुलाना पड़ा। इसी बीच पत्नी के सिजोफ्रेनिक होने की जानकारी मिली और उसका मनोचिकित्सक से उपचार शुरू किया गया। पत्नी बिना चूडिय़ां पहने सफेद साड़ी पहनने लगी थी और उसके माथे पर सिंदूर, जो एक विवाहिता का प्रतीक है, भी नहीं होता था। मामला सुलझाने जाति पंचायत की बैठक बुलाई गई, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार, पड़ोसी के यहां कूद गई छत से
मामले के अनुसार पत्नी ससुराल के बुजुर्ग व्यक्तियों को अनादरपूर्वक उनके नाम से बुलाती और दुव्र्यवहार करती थी। एक रात वह अपनी छत से पड़ोसी के घर की छत पर कूद गई। उसने अपनी बेटी और पति (अपीलकर्ता) से मारपीट व गला दबाने की कोशिश भी की।
मामले के अनुसार पत्नी ससुराल के बुजुर्ग व्यक्तियों को अनादरपूर्वक उनके नाम से बुलाती और दुव्र्यवहार करती थी। एक रात वह अपनी छत से पड़ोसी के घर की छत पर कूद गई। उसने अपनी बेटी और पति (अपीलकर्ता) से मारपीट व गला दबाने की कोशिश भी की।
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इन कृत्यों को मानसिक क्रूरता माना कोर्ट नेजस्टिस प्रशांत मिश्रा, जस्टिस एनके चद्रवंशी की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का भी उल्लेख किया गया, जिसमे मानसिक क्रूरता को मोटे तौर पर परिभाषित किया गया है कि ऐसा आचरण जो दूसरे पक्ष को मानसिक पीड़ा पहुंचाए और पीड़ित का अपने पार्टनर के साथ रहना संभव नहीं हो। दूसरे शब्दों में, मानसिक क्रूरता ऐसी प्रकृति की हो कि एक साथ रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती हो। इस आधार पर कोर्ट ने अपील स्वीकार कर तलाक की डिक्री पारित कर दी।