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यदि आप करना चाहते हैं मधुमक्खी पालन और बनाना चाहते हैं केंचुआ खाद तो ये खबर आपके लिए ही है

locationबिलासपुरPublished: Oct 23, 2019 08:03:49 pm

Submitted by:

JYANT KUMAR SINGH

केंचुआ खाद, लाख उत्पादन, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, नाडेप खाद उत्पादन आदि के बारे में विस्तार से जानकारी इस खबर में आपको मिलेगी

यूनानी दवाओं में शहद का प्रयोग

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बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) की प्राकृतिक संसाधन अध्ययनशाला के अंतर्गत ग्रामीण प्रौद्योगिकी एंव सामाजिक विकास विभाग में जीव विज्ञान समूह में अध्ययनरत 81 विद्यार्थियों ने शैक्षणिक भ्रमण किया। इन विद्यार्थियों को विभाग में संचालित केंचुआ खाद, लाख उत्पादन, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, नाडेप खाद उत्पादन आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी।
विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. दिलीप कुमार ने विद्यार्थियों को बताया कि व्यापारिक रूप से खाद बनाने के लिये आइसिनियम फोइटिडा किस्म के केंचुआ का उपयोग किया जाता है। इनसे उच्च गुणवत्ता वाले लगभग 12 पोषक पदार्थों से भरपूर खाद बनाते हैं तथा यह आसानी से कम संसाधन पर भी पाले जा सकते हैं। सहायक प्राध्यापक संजीव कुमार भगत ने बताया कि एपिस इंडिका एवं एपिस मेलिफेरा किस्म की मधुमक्खी का उपयोग शहद के उत्पादन हेतु करना चाहिए तथा साथ में विद्यार्थियों को शहद निकालने की विधि के विषय में बताया गया। सहायक प्राध्यापक डॉ. लोकेश कुमार टिन्डे ने आयस्टर मशरूम की उत्पादन तथा रख-रखाव के बारे में विद्यार्थियों को अवगत कराया।
विभागाध्यक्ष डॉ. पुष्पराज सिह ने सभी विद्यार्थियों को स्वरोजगार तथा अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान की। विद्यार्थियों के साथ शिक्षक पुष्पराज सिंह, सोमा मुखर्जी, सिमरन कौर एवं सुखमन कौर उपस्थित रहीं।
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