बिलासपुर. निजी स्कूलांे द्वारा मनमानी फीस वृद्धि करने के खिलाफ आक्रोशित पालकों ने मंगलवार को रैली निकाल कर कलेक्टोरेट आफिस का घेराव किया और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। कलेक्टर ने स्कूल संचालक और प्रकाशकों से चर्चा के बाद कार्रवाई करने की बात कही। बड़ी संख्या में आए पालकों को दो घंटे तक कड़ी धूप में कलेक्टर से मिलने का इंतजार करना पड़ा। इनमें महिलाएं और स्कूली बच्चे भी शामिल थे।
नए सत्र में निजी स्कूलों में भारी फीस वृद्धि की है। कमीशनबाजी के चक्कर में कॉपी-किताबें खरीदने के लिए शहर की कुछ खास दुकानें फिक्स कर दी गयी हैं। इन सबसे परेशान पालक पिछले १५ दिन से आंदोलित हैं। वे फीस वृद्धि वापस लेने की मांग कर रहे हैं। न्याय पाने के लिए पालकों ने नगर विधायक शैलेष पांडेय और जिला शिक्षा अधिकारी आरएन हीराधर को ज्ञापन सौंपा। विधायक की पहल पर डीईओ ने सभी स्कूल के संचालकों को फीस वृद्धि को वापस लेने ७२ घंटे का समय दिया था। इसके बाद स्कूल संचालकों ने फीस वृद्धि के आदेश को वापस नहीं लिया। सबसे अधिक शिकायत मार्डन एजूकेशन, सेंट जेवियर्स, लोयला पब्लिक स्कूल, ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के पालकों ने की है।
मंगलवार को सैकड़ों की संख्या में पालक नेहरु चौक से कलेक्टर आफिस तक मौन जुलूस निकाल कर पहुंचे। भीड़ को देखते ही कलेक्टर आफिस का मेन गेट बंद कर दिया गया। इससे नाराज पालक जमीन पर ही बैठ गए और कलेक्टर से मिलने की गुजारिश करने लगे। पालकों ने जिला पंचायत के सीईओ की गाड़ी को भी जाने नहीं दिया। मामला बिगड़ता देख सिविल लाइन थाने के टीआई मौके पर पहुंच कर पालकों को समझाने का प्रयास करने लगे। जिस पर पालकों ने कलेक्टर से मिलने की गुहार लगाई। काफी देर बाद ५ अभिभावकों को कलेक्टर से मिलने की अनुमति मिली। इस दौरान कलेक्टर आफिस में काफी गहमा-गहमी का माहौल उत्पन्न हो गया। पालक कड़ी धूप में २ घंटे तक कलेक्टर का इंतजार में बैठे रहे। इससे पहले सिटी मजिस्ट्रेट ने पालकों को मनाने का काफी प्रयास किया।
मतदान न करने का लिया संकल्प
पिछले १५ दिनों से मिल रहे आश्वासन और समस्या का समाधान न होने पर पालक आक्रोशित हैं तथा मतदान न करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारी समस्या का समाधान नहीं हो जाता है। हमें से कोई भी पालक मतदान नहीं करेगा। ज्ञापन सौंपने वालों में सेंट जेवियर्स स्कूल, मार्डन एजुकेशनल एकेडमी, लोयला स्कूल, ब्रिलियंट पब्किल स्कूल सहित अन्य स्कूलों के पालक उपस्थित थे।
पत्रिका व्यू
कार्रवाई करने से पीछे क्यों हट रहे डीईओ
निजी स्कूलों में बेतहाशा फीस वृद्धि और कॉपी-किताबें खरीदने के लिए दुकान फिक्स किए जाने से आक्रोशित पालक पिछले एक सप्ताह से आंदोलित हैं। वे लोकतांत्रिक तरीके से डीईओ,कलेक्टर व विधायक को ज्ञापन देकर अपनी समस्याएं बता चुके हैं। स्कूलों की मनमानी के सबूत दिखा चुके हैं। पालकों को सभी जगह से कार्रवाई का आश्वासन मिला लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात। डीईओ आरएन हीराधर इस मामले में पूरी तरह से उदासीन हैं वे पालकों की मांगे सुनकर उनका समाधान करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हंै। मंगलवार को सीएम के शहर में रहने के बाद बावजूद डीईओ कोयह डर नहीं है कि पालकों की समस्या सीएम तक पहुंचेगी। इतना ही नहीं कलेक्टर भी दो घंटे तक ऐसा व्यस्त रहे कि पालकों को कलेक्टोरेट के मेनगेट पर मिलने के लिए इंतजार करना पड़ा। शिक्षा विभाग की यह जिम्मेदारी है कि स्कूलों को शिक्षा केन्द्र ही बना रहने दे न कि व्यवसाय का अड्डा। इसलिए इस पूरे मामले में शिक्षा की पवित्रता बनाए रखने के लिए सख्त कार्रवाई कर समाज के सामने आदर्श पेश करना चाहिए।
पीडि़त पालकों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर अपनी समस्या से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने आचार संहिता का हवाला देते हुए चुनाव के बाद आयोग का गठन कर समस्या का समाधान करने की बात कही। वहीं पालकों को शांतिपूर्ण ढंग से सक्षम अधिकारी के समक्ष अपनी समस्या बताने की समझाइश दी।
कलेक्टर ने दिया आश्वासन
फीस वृद्धि वापसी सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पालकों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई। कलेक्टर ने पालकों को आश्वस्त करते हुए कहा कि वे स्कूल संचालक और प्रकाशकों से इस मामले में चर्चा करेंगे। जिस पर अभिभावकों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इससे पहले विधायक और डीईओ ने भी हमें स्कूलों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था, लेकिन एक सप्ताह गुजर जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।