वर्ष 2013 में नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्त रेवती जाँगड़े को बिना पूर्व सूचना के अनाधिकृत रूप से अपने कार्यालय में लम्बे समय तक अनुपस्थित रहने का कारण दर्शाते हुए अप्रैल 2022 को सेवा समाप्ति का आदेश विभाग द्वारा पारित कर दिया गया था। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में यह तर्क दिया कि याची के खिलाफ कार्यवाही करते समय विभाग ने स्वयमेव पूर्व में लिए गए अवकाश को त्यागपत्र मान लिया। जबकि याचिकाकर्ता ने स्वयं कभी भी त्यागपत्र विभाग को नहीं दिया। बल्कि वह मेडिकल अवकाश में थीं। याचिकाकर्ता को सुनवाई का पर्याप्त व समुचित अवसर भी नहीं दिया। बिना किसी विभागीय जाँच के सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया जाना न्यायसंगत नहीं है।
वर्ष 2013 में नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्त रेवती जाँगड़े को बिना पूर्व सूचना के अनाधिकृत रूप से अपने कार्यालय में लम्बे समय तक अनुपस्थित रहने का कारण दर्शाते हुए अप्रैल 2022 को सेवा समाप्ति का आदेश विभाग द्वारा पारित कर दिया गया था। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में यह तर्क दिया कि याची के खिलाफ कार्यवाही करते समय विभाग ने स्वयमेव पूर्व में लिए गए अवकाश को त्यागपत्र मान लिया। जबकि याचिकाकर्ता ने स्वयं कभी भी त्यागपत्र विभाग को नहीं दिया। बल्कि वह मेडिकल अवकाश में थीं। याचिकाकर्ता को सुनवाई का पर्याप्त व समुचित अवसर भी नहीं दिया। बिना किसी विभागीय जाँच के सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया जाना न्यायसंगत नहीं है।