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11 वीं कक्षा का एक छात्र जब अपने दोस्तों के साथ कूंद पड़ा था आजादी की लड़ाई में, फिरंगी भी बोलते थे ये हैं महान तलवारबाज बिलासपुर का ये सेंट्रल जेल गवाह है आजादी के उस संघर्ष का जिसमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों की कई यातनाएं झेलीं। ये सेंट्रल जेल हमारी आजादी से जुड़ी यादों को सजोए बैठा है। जब देश में अंग्रेजी हुकूमत की खिलाफत हो रही थी तब इसी जेल की माटी देशभक्तों के कदम चूूम रही थी।
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जरा याद करो कुर्बानी: हांथों की मेंहदी भी नहीं छूटी थी की शादी के 10 दिन बाद पति ने देश के लिए जान कुर्बान कर दी थी इस जेल में सैंकड़ों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने आजादी के लिए सजा काटी। इसी जेल में मानखलाल चतुर्वेदी के हृदय से पुष्प की अभिलाषा के उद्गार फूटे थे। सेनानियों की याद में जेल परिसर में एक स्तंभ बनाया गया है जिसमें सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज किए गए हैं।
बिलासपुर सेंट्रल जेल में 250 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद को स्मारिका के रुप में सजाया गया है। जेल प्रबंधन एक रजिस्टर भी मेनटेन किए हुए है। इस रजिस्टर में 15 दिन से 8 महिने और 2 साल तक सजा काटने वाले सेनानियों के नाम दर्ज है।