बिलासपुर

राज्य शासन को बुधवार तक जवाब देने के निर्देश

अधिवक्ताओं ने चुनावी वर्ष 2012 में भी इसी प्रकार कम दर पर तेंदुपत्ता की बिक्री का जिक्र याचिका में किया है।

बिलासपुरMar 14, 2018 / 01:29 pm

Amil Shrivas

बिलासपुर . चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन की युगलपीठ ने तेंदूपत्ता बिक्री और बोनस मामले में जनहित दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य शासन से बुधवार तक जवाब देने के लिए कहा है। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के उपाध्यक्ष संत कुमार नेताम ने तेंदूपत्ता की बिक्री में दरों की अफरातफरी और आदिवासियों को दी जाने वाली बोनस में भारी गड़बड़ी की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की है। नेताम द्वारा अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और संजय अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि प्रदेश में आदिवासी समाज के करीब 10 लाख लोग तेंदुपत्ता संग्रहण का कार्य करते हैं। इसके एवज में शासन ना सिर्फ उन्हें मेहनताना देती है, बल्कि तेंदुपत्ता की बिक्री के बाद होने वाली आय का 80 प्रतिशत राशि बोनस के रूप में देती है। बोनस की राशि बिक्री के एक वर्ष बाद दिए जाने का प्रावधान है। शासन द्वारा पिछले वर्ष जिस दर पर तेंदुपत्ते की बिक्री की गई। उसके अनुसार इस वर्ष मेहनताना और बोनस की राशि में 51 प्रतिशत का नुकसान हो गया। अगर आंकड़ों में राशि का जिक्र किया जाए तो ये 300 करोड़ है। बुधवार को मामले की पैरवी करते हुए अधिवक्ता श्रीवास्तव और अंग्रवाल की ओर से कहा गया कि दरों में कमी शासन की मिलीभगत से हो रहा है। शासन ने तेंदुपत्ते की बिक्री के लिए निविदा में जो शर्त तय की है, उसमें बेस प्राइस का कोई जिक्र ही नहीं है। निविदाकारों द्वारा जो भी दरें डाली जाती हैं, उसी के अनुसार तेंदुपत्ता की बिक्री कर दी जाती है। इस चक्कर में ऐसा हो रहा है कि अक्सर चुनावी वर्ष में कम दर पर तेंदुपत्ते की बिक्री हो रही है। शासन द्वारा बोनस बांटकर वाहवाही बटोरी जाती है, जबकि आदिवासियों के साथ छल किया जा रहा है। बोनस की राशि में 300 करोड़ की कमी होगी। अधिवक्ताओं ने चुनावी वर्ष 2012 में भी इसी प्रकार कम दर पर तेंदुपत्ता की बिक्री का जिक्र याचिका में किया है। साथ ही इस वर्ष भी चुनावी वर्ष के दौरान ऐसा किए जाने की शिकायत की है। याचिका में वनोपज अधिनिय के तहत तेंदुपत्ता का बेस प्राइस तय करने और अब तक की गड़बडिय़ों की जांच सीबीआई से किए जाने की मांग की है।

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