इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे: एचआईवी से सतर्क रहने लोगों ने लिया संकल्प
बिलासपुरPublished: Jun 03, 2023 11:57:32 am
देश भर में एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सिम्स स्थित एआरटी सेंटर्स में भी संभाग भर से हर रोज औसतन 5 संक्रमित पहुंच रहे हैं, जो चिता का विषय है। लिहाजा पत्रिका ग्रुप ने इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे पर शहर की स्लम बस्तियों में जाकर लोगों को इस घातक बीमारी से बचने जागरूक किया।


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बिलासपुर. देश भर में एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सिम्स स्थित एआरटी सेंटर्स में भी संभाग भर से हर रोज औसतन 5 संक्रमित पहुंच रहे हैं, जो चिता का विषय है। लिहाजा पत्रिका ग्रुप ने इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे पर शहर की स्लम बस्तियों में जाकर लोगों को इस घातक बीमारी से बचने जागरूक किया।
इसकी शुरुआत भारतीय नगर से की गई। यहां एचआईवी के प्रति लोगों को लगातार जागरूक कर रही सामाजिक संस्था सम्मान संकल्प समिति के सहयोग से लोगों की बैठक लेकर उन्हें इस बीमारी के बढ़ते खतरे से अवगत कराया गया। इस बीच समिति के निरीक्षण एवं मूल्यांकन अधिकारी तरुणजय दीन से लोगों को यह संक्रमण कैसे फैलता है, इससे बचने क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए, इस बीमारी के घातक परिणाम के बारे में सूक्ष्मता से जानकारी दी। इस बीच लोगों ने इस संक्रमण से बचने स्वयं तो संकल्प लिया ही, बल्कि औरों को भी इसके लिए जागरूक करने की बात कही। इस अवसर पर परियोजना प्रबंधक सम्मान संकल्प समितिविजय अरोरा, परामर्श दाता कोमल बांदले, शहर के युवा उदय निषाद, सूर्या कुमार, राजेश कुमार सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे।
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0 वाहन व रिक्शा चालकों, फल व सब्जी विक्रेताओं को भी किया गया जागरूक
इस जागरुकता कार्यक्रम के तहत पत्रिका टीम ने सम्मान संकल्प समित समेत अन्य सामाजिक संस्थाओं के साथ मिल कर ट्रक, बस चालकों, ऑटो व रिक्शा चालकों को भी एचआईवी को लेकर जागरूक किया गया। इस बीच लोगों को इस बीमारी से बचने कैसे सावधानी बरतनी चाहिए इससे संबंधित पंपलेट्स भी बांटे गए।
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0 दवाओं व जांच किट के लिए भी पत्रिका प्रमुखता से खबरें प्रकाशिक कर रहा
एचआईवी एक घातक बीमारी है। इससे पीडि़त व्यक्ति समाज से भी उपेक्षित हो जाता है। संभाग स्तर पर इनका इलाज सिम्स के एआरटी सेंटर में होता है, लेकिन यहां आए दिन कभी दवाएं नहीं रहतीं तो कभी जांच किट न होने से मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है। ऐसे मरीज न किसी से अपनी परेशानी बता सकते और न ही मेडिकल स्टोर्स में इनकी दवाएं ही मिलतीं। ऐसे में पत्रिका अपनी खबरों के माध्यम से लगातार उनके सहयोग की कोशिश कर रहा है। साथ ही समय-समय पर एनजीओ के माध्यम से खासकर युवाओं को इससे बचने जागरूक भी किया जा रहा है।
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